लखनऊ। हजरतगंज स्थित उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक के मुख्यालय के खाते से सात खातों में 146 करोड़ रुपये पूर्व बैंक प्रबंधक आरएस दुबे ने अपने एक साथी की मदद से ट्रांसफर किए थे। आरएस दुबे ने यह रकम ट्रांसफर करने के लिए प्रबंधक और कैशियर की यूजर आइडी और पासवर्ड का प्रयोग किया था।
कई संदिग्ध और कर्मचारी हिरासत में
मंगलवार को साइबर थाने और साइबर मुख्यालय की स्पेशल टीम की पड़ताल में जानकारी हुई। टीम के साथ डीआइजी साइबर क्राइम मुख्यालय एन कोलांची ने भी बैंक का निरीक्षण कर अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की। दोपहर जालसाजी के मामले में प्रबंधक मेवालाल, सहायक प्रबंधक अजय कुमार, कैशियर विकास कुमार पांडेय और गार्ड अजय कुमार को निलंबित कर दिया गया। साइबर टीम ने कई संदिग्धों और कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
शनिवार सुबह पूर्व प्रबंधक ने ट्रांसफर किए रुपये
जालसाजी में आरोपित पूर्व बैंक प्रबंधक आरएस दुबे इंदिरानगर के रहने वाले हैं। वह शनिवार सुबह करीब नौ बजे के आस पास एक साथी के साथ बैंक पहुंचे थे। सीसी कैमरे में बैंक आते आरएस दुबे कैद हुए हैं। गार्ड शैलेंद्र ने रोकने की कोशिश की तो आरएस दुबे ने आठवें तल पर एनएडी (कृषियेत्तर ऋण) अनुभाग में जाने की बात कहकर चले गए।
सीसी कैमरे में कैद हुआ पूरा घटनाक्रम
इसके बाद वह कंप्यूटर विभाग में पहुंचे। वहां कंप्यूटर में छेड़छाड़ करते भी दिखे। यह सारी गतिविधियां सीसी कैमरे में कैद हैं। बैंक अधिकारियों को दावा है कि इस दौरान ही आरएस दुबे ने बैंक के खाते से मैनेजर और कैशियर की यूजर आइडी, पासवर्ड का प्रयोग करके रकम उड़ा ली। देर शाम बैंक अधिकारियों को आठ बार में खाते से 146 करोड़ रुपये ट्रांसफर होने की जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया।
फ्रीज की गई खातों में रकम :
इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना मुस्लिम खां ने बताया कि कुछ खातों में आठ खातों में सारा रुपया ट्रांसफर हुआ था। सारी रकम फ्रीज कर ली गई है। उक्त मामले में और कई बैंक कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है। इसकी पड़ताल की जा रही है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।