देश के आठ प्रमुख शहरों में सितंबर तक बिना बिक्री घरों (Houses) की संख्या बढ़कर 7.85 लाख तक पहुंच गई है. प्रॉप टाइगर की एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा है कि बिल्डरों को इन आवासीय इकाइयों को निकालने या बेचने में 32 महीने लगेंगे. संपत्ति सलाहकार के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर आवासीय बाजार में आम्रपाली, जेपी इन्फ्राटेक और यूनिटेक जैसे कई बड़े बिल्डरों की चूक से बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. सबसे बुरी स्थिति दिल्ली-एनसीआर की है. यहां एक लाख से ज्यादा आवासीय इकाइयां को मालिकों का इंतजार है और इन्हें बेचने में बिल्डरों को पांच साल से ज्यादा करीब 62 महीने लगेंगे.
बढ़े बिना बिके घर
प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार, बिना बिके मकानों की संख्या 30 सितंबर, 2022 तक बढ़कर 7,85,260 इकाई हो गई. पिछली तिमाही के अंत में यह आंकड़ा 7,63,650 इकाई रहा था. प्रॉपटाइगर आठ शहरों अहमदाबाद, दिल्ली एनसीआर (दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद), चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई महानगर क्षेत्र और पुणे के प्राथमिक आवास बाजार पर नजर रखती है. सकारात्मक बात ये है कि इन आठ शहरों में घरों की बिक्री जुलाई-सितंबर, 2022 में 49 प्रतिशत बढ़कर 83,220 इकाई हो गई.
कहां मौजूद हैं खाली मकान (Houses)
आंकड़ों के अनुसार, सितंबर तिमाही के अंत में अहमदाबाद में 65,160 बिना बिकी आवासीय इकाइयां थीं, जिन्हें बेचने में 30 महीने लगेंगे. वहीं बेंगलुरु में खाली पड़े 77,260 घरों को बेचने में बिल्डरों को 28 महीने लगेंगे. जबकि चेन्नई में बिना बिकी आवासीय संपत्तियां 32,180 थीं. वहीं दिल्ली-एनसीआर में खाली पड़े घरों की संख्या 1,00,770 और हैदराबाद में 99,090 इकाई थी. इन्हें बेचने में क्रमश: 27 महीने, 62 महीने और 41 महीने का समय लगेगा. आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता में 22,530 खाली पड़े मकान हैं. इसे बेचने में सबसे कम 24 महीने का समय लगेगा. महाराष्ट्र के दो सबसे बड़े संपत्ति बाजारों में- मुंबई में 2,72,960 आवासीय इकाइयां खाली थीं जिनकी बिक्री में 33 महीने से अधिक का समय लगेगा. वहीं पुणे के बिल्डरों को मौजूदा गति से 1,15,310 बिना बिकी आवासीय इकाइयों को बेचने में 22 महीने लगेंगे.