लखनऊ। जियामऊ इलाके में निष्क्रांत संपत्ति पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए कब्जा कर मकान का निर्माण कराने के एक मामले में निरुद्ध अभियुक्त मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी सत्र अदालत ने खारिज कर दी है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज गौरव कुमार ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को गंभीर करार दिया है। इससे पहले एमपी-एमएलए की विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट से अभियुक्त की जमानत अर्जी खारिज हुई थी।
नक्शा पास कराने के लिए किया बाहुबल का इस्तेमाल : सरकारी वकील अशोक त्रिपाठी ने जमानत अर्जी का जोरदार विरोध किया। उनका कहना था कि अभियुक्त पर गंभीर आरोप है। उसने जियामऊ इलाके में एक निष्क्रांत जमीन का जबरिया बैनामा करा लिया, जबकि विक्रेता अशफाक अली आदि के पास इस जमीन को बेचने का कोई अधिकारिक दस्तावेज नहीं था। इसके बाद फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीन पर मुख्तार अंसारी ने मकान का अवैध निर्माण कराया गया। जमीन का नक्शा मंजूर कराने के लिए अपने बाहुबल का इस्तेमाल कर अनावश्यक दबाव बनाया।
अभियुक्त का आपराधिक इतिहास : यह भी तर्क दिया गया कि अभियुक्त का आपराधिक इतिहास है। इसके खिलाफ विभिन्न जिलों में कई मुकदमे दर्ज हैं। इस मामले में इसके बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल है। इन सबके खिलाफ साजिश, धोखाघड़ी व कूटरचना आदि के साथ ही सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 में आरोप पत्र दाखिल हुआ है।
सरकारी संपत्ति का नुकसान : 27 अगस्त, 2020 को इस मामले की एफआइआर प्रभारी लेखपाल सुरजन लाल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी, जिसके मुताबिक राजधानी के जियामऊ इलाके की एक निष्क्रांत जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए व अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अभियुक्तों ने अवैध रूप से मकान का निर्माण कराया। इन्होंने एक साजिश के तहत नक्शा पास कराकर यह निर्माण कराया और करोड़ों की सरकारी संपत्ति का नुकसान करते हुए जमीन को हड़प लिया।