नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर जेल में बंद मंत्री नवाब मलिक और सत्येंद्र जैन को बर्खास्त करने के लिए क्रमश: महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। गुरुवार को इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग पर शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले इसे प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) के समक्ष रखा जाएगा और वही इस पर विचार करने के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्णय करेंगे।
नहीं छोड़ रहे पद
आमतौर पर जेल जाने के बाद मंत्री अपना पद छोड़ देते हैं, लेकिन शायद यह पहली बार है कि ऐसे मामले में मंत्रियों को बर्खास्त करने का मसला शीर्ष अदालत पहुंचा है। जेल जाने के बाद मंत्रियों को पद से हटाए जाने की मांग वाली यह जनहित याचिका वकील और भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है।
मंत्रियों को भी पद से हटाया जाना चाहिए
इसमें कहा गया है कि जिस तरह आइएएस, जज और अन्य लोकसेवक दो दिन जेल में रहने पर पद से निलंबित कर दिए जाते हैं उसी तरह जेल जाने के बाद मंत्रियों को भी पद से हटाया जाना चाहिए क्योंकि वे भी लोकसेवक होते हैं और संविधान की शपथ लेते हैं।
दोनों मंत्री जेल में
न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए उपाध्याय महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक पिछले चार महीने से जेल में हैं और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री न्यायिक हिरासत (जेल) में हैं। याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि जेल में बंद दोनों मंत्रियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
मंत्री पद से किए जाएं बर्खास्त
उपाध्याय ने कहा कि आइपीसी की धारा 21 के तहत मंत्री लोकसेवक होते हैं और साथ ही वह कानून निर्माता भी होते हैं और अनुसूची तीन के तहत संविधान की शपथ लेते हैं, ऐसे में दो दिन जेल में रहने पर ही उन्हें अस्थाई रूप से मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए जैसे कि आइएएस, जज या अन्य लोकसेवकों के साथ होता है। उनका पद पर बने रहना कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन है।(सत्येंद्र जैन)
पहले प्रधान न्यायाधीश के सामने जाएगी याचिका
पीठ ने मामले पर जल्द सुनवाई की उनकी दलील पर कहा कि यह मामला पहले प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश होगा और वही इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्णय लेंगे। पीठ ने उपाध्याय से इस मामले को रजिस्ट्रार के समक्ष मेंशन करने को कहा। यह भी संभावना जताई कि अगले हफ्ते इस पर सुनवाई हो सकती है।
विधि आयोग को भी निर्देश देने की मांग
याचिका में वैकल्पिक मांग भी की गई है जिसमें कहा गया है कि संविधान का संरक्षक होने के नाते विधि आयोग को निर्देश दे कि वह विकसित देशों के चुनाव कानूनों का परीक्षण करके मंत्री, कानून निर्माताओं और लोक सेवकों के पद का सम्मान व गरिमा बनाए रखने के लिए अनुच्छेद 14 की भावना के अनुरूप एक समग्र रिपोर्ट तैयार करे। याचिका में दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार के अलावा केंद्र सरकार, विधि आयोग और चुनाव आयोग को पक्षकार बनाया गया है।