देहरादून : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने से पहले आमजन के सुझाव भी लिए जाएंगे। इसके लिए गठित समिति विभिन्न स्थानों पर जाकर आमजन से इस संबंध में सुझाव लेगी। समिति की बनने वाली वेबसाइट के जरिये भी सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी को इस संबंध में व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को सात बिंदुओं पर तैयार करनी है रिपोर्ट
प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम आगे बढ़ाए गए हैं। इसे कानूनी रूप देने के लिए प्रदेश सरकार ने इसी वर्ष 27 मई को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में छह माह के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। इस समिति को सात बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट तैयार करनी है।
सभी वर्गों के साथ ही आमजन के सुझाव भी शामिल करने को कहा
इसके लिए प्रदेश के प्रमुख धर्मों, समुदायों एवं वर्गों के प्रमुख प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी समिति आमंत्रित करेगी। उनके सुझावों व विचारों को सम्मिलित करते हुए रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। हाल ही में इसमें सरकार ने सदस्य सचिव की तैनाती भी की है। इससे समिति की बैठकों का रास्ता साफ हो गया है। अब सरकार ने समिति को सभी वर्गों के साथ ही आमजन के सुझाव भी इसमें शामिल करने को कहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार के सौ दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि उनसे लगातार यह पूछा जा रहा था कि आखिर प्रदेश में इसे क्यों लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दरअसल, चुनाव के दौरान उन्होंने यह कहा था कि सरकार के गठन के साथ ही सभी के लिए समान कानून लाएंगे। उत्तराखंड देवभूमि है और साथ ही यह दो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा सैनिक बाहुल्य प्रदेश है। यह प्रदेश धर्म, आध्यात्म व संस्कृति का केंद्र भी है। इसलिए यहां की कानून व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए और सबके लिए एक समान कानून होना चाहिए। इसी कारण इस कानून के लिए समिति का गठन किया गया है।