लखनऊ। बंगाली कालोनी में सेवानिवृत्त शिक्षिका सुशीला त्रिपाठी को उनका पालतू कुत्ता पिटबुल करीब डेढ़ घंटे तक नोचता रहा। पिटबुल ने नोच-नोच कर मांस के लोथड़े तक निकाल दिए थे। मुख्य गेट का दरवाजा अंदर से बंद होने के कारण सुशीला की मदद को पड़ोसी तक नहीं जा सके। इसका सभी को अफसोस है। यह कहना है मुहल्ले में रहने वाली मुन्नी व अन्य लोगों का।
घटना से मुहल्ले के बच्चे और बड़े सभी दहशत में हैं। बुधवार के दिन पूरी गली में सन्नाटा पसरा रहा। आस-पड़ोस के रहने वाले लोगों के बच्चे खेलने तक के लिए बाहर नहीं निकले। मुन्नी और आस-पड़ोस के लोगों ने बताया कि मंगलवार को वह घर के बाहर तड़के टहल रही थीं। इस बीच करीब पौने पांच बजे सुशीला का बेटा अमित जिम जाने के लिए निकला।
उसके बाद सुशीला के घर से चीख-पुकार की आवाज आने लगी। आस-पड़ोस के लोग दौड़े तो पता चला कि मकान अंदर से बंद है। पिटबुल सुशीला को नोच रहा था वह चीख रही थीं। सभी असहाय खड़े थे। मुन्नी भागकर अमित के दोस्त के घर पहुंची। वह सो रहा था। काफी देर तक उसका दरवाजा खटखटाती रहीं। इसके बाद वह निकला तो उसे जानकारी दी। उसने अमित को फोन किया।
अमित का फोन रिसीव नहीं हो रहा था। इसके बाद वह जिम पहुंचा। जिस से करीब पौने सात बजे अमित आया। उसने गेट खोला। पिटबुल को किसी तरह शांत कराया। कमरे में सुशीला के मांस के लोथड़े पड़े थे। उन्हें उठाया, फिर सुशीला को चादर में लपेटकर अस्पताल ले गया। जिसने भी वह खौफनाक मंजर देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए थे।
किराएदार छात्राएं छोड़कर चली गईं, रात भर बैठी रहीं अस्पताल में : सुशीला मकान के एक हिस्से में बेटे के साथ रहती थीं। दूसरे हिस्से में तीन छात्राएं किराए पर रहती हैं। तीनों भातखंडे विश्वविद्यालय की छात्राएं हैं। तीनों दहशत में हैं। घटना के बाद से वह घर नहीं गईं। उन्होंने मंगलवार की रात पड़ोस स्थित एक अस्पताल में बिताई। इसके बाद उन्होंने अपने घरवालों को सूचना दी। घरवाले बुधवार दोपहर पहुंचे तो वह उनके साथ चली गईं। तीनों छात्राएं बहुत डरी हुई थीं।
प्रयागराज में हुआ अस्थि विसर्जन : बुधवार को बंगाली कालोनी की गली में सन्नाटा पसरा रहा। अमित अपनी मां की अस्थियां लेकर विसर्जन करने के लिए प्रयागराज चले गए। उधर, मुहल्ले का माहौल भी गमगीन रहा। सुशीला से जो आस पड़ोस की महिलाएं मिलती थीं वह सभी उनकी मौत पर दुखी थीं।