श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक संकट काफी गहरा गया है. भयानक कंगाली की तरफ बढ़ रहे श्रीलंका में हालात बेहद ही खराब हो गए हैं. देश में एक बार फिर से इमरजेंसी (Sri Lanka Emergency) की घोषणा की गई है. श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल लगाने के आदेश दिए हैं. गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के सिंगापुर भागने और इस्तीफा देने के बाद रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए गए हैं.
श्रीलंका में आर्थिक (Sri Lanka Economic Crisis) और राजनीतिक संकट के बीच पिछले 4 महीने में चौथी बार देश में इमरजेंसी लगा दी गई है. श्रीलंका 1948 में आजादी मिलने के बाद से गंभीर आर्थिक संकट के दौर का सामना कर रहा है.
श्रीलंका में फिर से इमरजेंसी
श्रीलंका में तत्काल प्रभाव से इमरजेंसी की घोषणा की गई है. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि देश में आर्थिक संकट के मद्देनजर कानून व्यवस्था और जरूरी चीजों की सुचारू आपूर्ति के लिए 18 जुलाई से आपातकाल लगाया जा रहा है. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा श्रीलंका में आपातकालीन कानून का विस्तार करते हुए इसे लेकर गजेट अधिसूचना जारी की गई.
किस अध्यादेश के तहत श्रीलंका में इमरजेंसी?
श्रीलंका (Sri Lanka) में राष्ट्रपति को सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के भाग 2 में इमरजेंसी (Emergency Law) नियम लागू करने का अधिकार है. सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश की धारा 2 के तहत ही 18 जुलाई से श्रीलंका में सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति घोषित की गई. इससे पहले श्रीलंका में 13 जुलाई को तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के खिलाफ भारी बवाल और जनाक्रोश के बाद श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया था. पहली बार तत्कालीन राजपक्षे सरकार ने 1 अप्रैल और फिर 6 मई को आपातकाल लगाया गया था. गौरतलब है कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी है. खाद्य उत्पादों, फ्यूल और दवाओं की भारी किल्लत है. देश में महंगाई चरम पर है.