उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने दो आरोपियों से पुलिस कस्टडी रिमांड (पीसीआर) में पूछताछ करेगी। एसटीएफ की मांग पर कोर्ट ने आउटसोर्स कंपनी के प्रोग्रामर और एक अन्य आरोपी की पीसीआर मंजूर की है। बताया जा रहा है कि इनसे जल्द ही कुछ बड़े खुलासे हो सकते हैं।
22 जुलाई को रायपुर थाने में इस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई। एसटीएफ ने रविवार को छह आरोपियों को गिरफ्तार कर इनके पास से 37 लाख रुपये बरामद किए थे।
अब एसटीएफ जांच में जुटी है कि इसमें कौन-कौन शामिल हो सकता है। इसी क्रम में एसटीएफ के जांच अधिकारियों ने दो आरोपियों की पुलिस कस्टडी रिमांड मांगी थी। इनमें आउटसोर्स कंपनी का प्रोग्रामर जयजीत और पीआरडी कर्मचारी मनोज जोशी शामिल है। न्यायालय ने इन दोनों की पीसीआर मंजूर कर दी है। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ की जाएगी। उन्होंने पेपर लीक किया तो किस तरह और किसके कहने पर किया। इसमें कौन-कौन और लोग शामिल हैं। इन सब बातों के सवाल किए जाएंगे।
UKSSSC: प्रिंटिंग प्रेस आ रही शक के दायरे में
परीक्षा के प्रश्नपत्र लखनऊ स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस में छापे गए थे। यहां मनोज जोशी काम भी कर चुका है। चूंकि, मनोज जोशी और जयजीत मुख्य आरोपी हैं तो हो सकता है कि प्रिंटिंग प्रेस से भी इस पेपर लीक की कुछ कड़ियां जुड़ी हों। एसटीएफ के सूत्रों ने बताया कि जल्द ही बड़े खुलासे के तहत इस प्रेस से जुड़े कुछ लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
UKSSSC: कुछ अभ्यर्थी स्वीकार रहे गलती
पेपर लीक मामले में एसटीएफ की अपील का असर दिख रहा है। अनुचित साधन का इस्तेमाल कर नकल करने वाले कुछ अभ्यर्थियों ने एसटीएफ से संपर्क करने की कोशिश की है। कुछ लोगों को एसटीएफ कार्यालय के बाहर भी देखा गया है। अभ्यर्थियों ने पूछा है कि उनकी कानूनी रूप से मदद कैसे हो सकती है। उन्होंने जो किया, वह स्वीकार करते हैं। माना जा रहा है कि इससे इस पूरे केस को काफी बल मिलेगा।
एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने सोमवार को अपील की थी कि यदि कोई अभ्यर्थी सामने आना चाहता है तो उसकी कानून के हिसाब से मदद की जाएगी। बहुत से अभ्यर्थियों ने अनुचित साधनों का लाभ लेकर इस परीक्षा में सफलता पाई है। ऐसे में यदि पुलिस तफ्तीश में इनका नाम शामिल करती है तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार, केस को मजबूती देने के लिए कुछ को गवाह बनाया जा सकता है।
एसटीएफ की इस अपील का असर इस रूप में दिखा कि कुछ अभ्यर्थियों ने बिना देर किए अधिकारियों से संपर्क साधा है। यही नहीं, कुछेक को तो एसटीएफ कार्यालय के बाहर भी देखा गया है। इनमें से कुछ ने स्वीकार भी किया है कि उन्होंने नकल की है। इस तरह का अनुचित लाभ उन्होंने लिया है तो एसटीएफ उनकी किस प्रकार से मदद कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ ने इनको शपथपत्र दाखिल करने की सलाह दी है।
फेल अभ्यर्थी बन सकते हैं गवाह
जांच टीम नकल करने के बाद फेल हुए अभ्यर्थियों को गवाह बना सकती है। यदि एसटीएफ को ऐसे अभ्यर्थी गवाहों के रूप में मिल जाते हैं तो केस काफी मजबूत हो जाएगा। फिलहाल, एसटीएफ साक्ष्यों का मजबूती से संकलन करने में जुटी है। बताया जा रहा है कि फोन से संपर्क भी बहुत कम हुआ है। ज्यादातर धन का लेनदेन भी नकद ही हुआ है। ऐसे में थोड़ी मुश्किलें आ रही हैं।