जीरकपुर (16/02/2023): प्राणी मात्र के उद्धार के लिए बलटाना के गोविंद विहार बलटाना के शिव शक्ति मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत के तीसरे दिन की कथा की शुरुआत राजा परीक्षित के उद्धार से शुरू होते हुए विदुर, ध्रुव और प्रह्लाद आदि भक्तों ने कैसे भगवान को प्राप्त किया इन प्रसंगों पर समाप्त हुई | (Bhagwat Katha)
सुनील कालिया के परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा व्यास आचार्य रोहित तिवारी ने बताया कि प्राणी मात्र का कर्तव्य है की वह भगवान से प्रेम(प्रीति) करे | धरती पर जन्म लेने के बाद मनुष्य धरती पर फैली मोह माया में फस जाता है | जिसकी वजह से वह अपने मूल लक्ष्य को भूल जाता है | किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।
कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा (Bhagwat Katha) को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है।
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भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। कथा के दौरान भजन गायक व्यास रोहित तिवारी ने भजनों की प्रस्तुति दी। (Bhagwat Katha)