सिरसा। (सतीश बंसल) जिला के किसानों की खराब हुई फसलों के बकाया (Administration) मुआवजा 258 करोड़ सहित किसानों की अन्य मांगों को मनवाने के लिए 6 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे गांव डिंग मंडी के 68 वर्षीय किसान ओमप्रकाश को पुलिस मंगलवार सुबह 3 बजे उठा कर ले गई थी । भारतीय किसान एकता बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि ऐसा करके जिला प्रशासन ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। क्योंकि जिला प्रशासन ने एफसीआर के साथ उनकी बैठक करवाने का भरोसा दिलाया था और चंडीगढ़ मीटिंग में जाने वाले पांच किसानों के नाम भी मांगे थे।
उन्होंने कहा कि किसानों ने जिला प्रशासन पर भरोसा जताते हुए ताऊ ओमप्रकाश की सुरक्षा को थोड़ा ढीला छोड़ दिया और उनके इसी विश्वास का फायदा उठा कर पुलिस चोरों की तरह अंधेरे में ताऊ ओमप्रकाश को उठा कर ले गई, जिससे किसानों का जिला प्रशासन से एक वार फिर विश्वास उठ गया। लखविंद्र सिंह ने कहा कि यदि डीसी कार्यालय के समक्ष बैठे किसानों के साथ ही जिला प्रशासन विश्वासघात कर सकता है तो आम आदमी उनसे इंसाफ की उम्मीद कैसे रख सकता है।
इस घटना के बाद गुस्साए किसानों ने डीसी दफ्तर के सामने (Administration) ट्रैक्टर-ट्रॉलियों लगाकर मुख्य गेट को सील कर दिया। जो दूसरे दिन भी जाम रहा। ओमप्रकाश का धरनास्थल से उठाने के विरोध में पूरा दिन किसानों ने भूख हड़ताल रखी। ओमप्रकाश को वापस मोर्चे पर लाने के लिए किसान जब पुलिस अधीक्षक डा. अर्पित जैन से बात करने पहुंचे तो एसपी सिरसा किसानों से बात करने नहीं आए।
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जिसके बाद किसान एसपी दफ्तर के गेट के सामने बैठ कर नारेबाजी करने लगे। घंटों के विरोध प्रदर्शन के बाद एसपी सिरसा किसानों के बीच पहुंचे और ओमप्रकाश की सेहत का हवाला देकर उन्हें न लौटाने का बहाना बना लिया। एफसीआर से किसानों की मीटिंग का विश्वास दिलाकर भूख हड़ताली किसान को उठाने की कार्यवाही को सिरसा प्रशासन की कायरतापूर्ण हरकत बताते हुए (Administration) औलख ने अपनी मांगों के पूरा होने तक डीसी कार्यालय को जाम रखने की बात करते हुए कहा कि दूसरे दिन भी डीसी कार्यालय का मुख्य गेट बंद रहना कोई छोटी बात नहीं। बीकेई मीडिया प्रभारी गुरलाल भंगू के अनुसार आज 1 मार्च दिन बुधवार को किसानों के धरने को डेढ़ महीना पूरा हो चुका है।