पंचकूला, 21 मार्च- पूर्व केंद्रीय जल शक्ति व (Production) सामाजिक न्याय अधिकारिता राज्य मंत्री वर्तमान सांसद रतनलाल कटारिया ने कहा कि भारत मोटे अनाजों के उत्पादन और खपत में अपनी पुरानी स्थिति को फिर से प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रहा है। भारत दुनिया में अन्न का सबसे ज्यादा पैदावार करता है l व्यापार कारोबार के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप बढ़ा रहा है l कटारिया ने कहा कि भारत अभी विश्व का पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जबसे 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया है, तभी से संपन्न देशों में भारत के अन्न की मांग बढ़ी हैं l
रतनलाल कटारिया ने बताया कि अमेरिका, जापान, जर्मनी और सऊदी अरब जैसे देश भारत में उपजे अन्न के बड़े आयतक हैं l हाल ही दिल्ली में आयोजित विश्व सम्मेलन में जुटे सो से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भी भारत के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार किया है, उनका मानना है (Production) कि भारत मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है और यह वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम हो सकता है l वित्तीय वर्ष 2022-2023 में अप्रैल से नवंबर के बीच सिर्फ 8 महीने के दौरान भारत ने कुल एक लाख चार हजार 146 टन अन्न का निर्यात किया जिसका मूल्य 365.85 करोड़ रुपए है l
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा में मोटे अनाजों की पैदावार को बढ़ावा देने के साथ जागरूक अभियान चलाकर मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा हैं ताकि बच्चो में फैल रही बीमारियां जैसे कुपोषण,निमोनिया आदि से बचाया जा सके l
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कटारिया ने बताया कि भारत की संस्कृति की तरह मोटे अनाज में भी विविधता है मुख्य रूप से सात तरीके से अन्न की खेती होती है जिसमें बाजरा, पर्ल मिलेट, (Production) फिंगर मिलेट, कंगनी, जुआर, कोदो प्रमुख हैं l अन्न उत्पादन के साथ इसकी खपत बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है l कुपोषण से लड़ने में अन्न बहुत कारागार है l