पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) का मंगलवार (25 अप्रैल) को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. आज प्रकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ पहुंचेंगे। प्रकाश सिंह बादल के पार्थिव शरीर को शिरोमणि अकाली दल के मुख्य दफ्तर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में आम जनता के दर्शनों के लिए रखा गया है। बादल के पार्थिव शरीर को अकाली दल के झंडे में लपेटा गया है।
इसके बाद दोपहर में पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव पहुंचाया जाएगा। आज यानी वीरवार को बादल का अंतिम संस्कार किया जाएगा। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन के चलते पंजाब सरकार द्वारा 2 दिनों के लिए सामूहिक अवकाश की घोषणा की है।
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1970 में पहली बार बने थे पंजाब के मुख्यमंत्री
प्रकाश सिंह बादल पहली बार वर्ष 1970 में पहली बार पंजाब के सीएम बने थे। वर्ष 2017 में वह आखिरी बार इस पद पर थे. वह सिख-केंद्रित पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) के संरक्षक भी थे। (Prakash Singh Badal) बादल 12 फरवरी 1997 से 26 फरवरी 2002 की अवधि के बीच भी प्रदेश के सीएम बने थे।
पद्म विभूषण से हुए थे सम्मानित
30 मार्च, 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। हालांकि उन्होंने 3 दिसंबर 2020 को भारतीय किसानों के विरोध का समर्थन करने के लिए इस सम्मान को वापस कर दिया था।
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ये रहा बादल का राजनीतिक सफर
वह 1957 में पहली बार शिरोमणि अकाली दल से पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए थे। वह 1969 में फिर से चुन कर आये और तत्कालीन पंजाब सरकार में सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री का पद संभाला। बादल कुल 10 बार विधान सभा के लिए चुने गए थे. (Prakash Singh Badal) वह 1972, 1980 और 2002 में विपक्ष के नेता थे। वर्ष 1997 के चुनावों में वे लंबी विधानसभा क्षेत्र से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
वर्ष 2007 के पंजाब विधान सभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार ने 117 में से 67 सीटें जीतीं और प्रकाश सिंह बादल ने चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में पूरे प्रदेश की बागडोर संभाला था. उनके निधन से पूरे पंजाब में शोक की लहर दौड़ पड़ी हैं. अकाली दाल के साथ-साथ अन्य राजनैतिक पार्टियों में भी शोक का भाव देखने को मिला हैं|