सिरसा, 04 सितंबर।(सतीश बंसल) उपायुक्त पार्थ गुप्ता (Deputy Commissioner Partha Gupta) ने कहा कि जिला को नशा से मुक्त करने के लिए अधिकारियों को लक्ष्य बनाकर उस पर गंभीरता से काम करना होगा, ताकि इसके धरातल पर परिणाम पर नजर आएं। एक योजनाबद्ध तरीके से नशा पीडि़त लोगों को नशा से मुक्त किया जाए। जिला को नशा मुक्त बनाने के प्रयासों में किसी भी प्रकार कमी न रहे।
ये भी पड़े –Janmashtami के त्यौहार को लेकर पुलिस ने जिला भर में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए है ।
उपायुक्त ने सोमवार को लघुसचिवालय स्थित सभागार में एनसीओआरडी की जिला स्तरीय कमेटी की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने नशा मुक्ति अभियान को लेकर चल रही गतिविधियों व कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण, सहायक आयुक्त (प्रशिक्षणाधीन) शाश्वत सांगवान, एसडीएम ऐलनाबाद डा. वेद प्रकाश बेनीवाल, एसडीएम कालांवाली सुरेश रावेश, एसडीएम डबवाली अभय सिंह सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। (Deputy Commissioner Partha Gupta)
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उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने कहा कि जिला के नशा प्रभावित गांवों को चिन्हित किया जाए। ऐसे गांवों में नशा मुक्ति केंप लगाए जाएं और लोगों को जागरुक भी किया जाए। उन्होंने कहा कि हर माह ऐसे दस गांवों को कवर किया जाए। इसके लिए स्कूली बच्चों, आंगनवाड़ी वर्कर, गांव के सरपंच व पंच अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसके साथ ही इन कैंपों में नशा छोड़ चुके लोगों को भी शामिल कर दूसरों को नशा छोडऩे के लिए प्रेरित किया जा सकता है। स्क्रीनिंग व इलाज के लिए लोगों को आगे आने के लिए प्रेरित किया जाए। साथ ही गांव में इस संबंध में मुनादी करवाई जाए ताकि लोगों को इसकी जानकारी मिल सके।
उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने कहा कि अब तक जिन लोगों ने नशा छोड़ दिया है, उन्हें प्रेरणा स्रोत बनाकर नशा बीमारी से ग्रस्त लोगों को नशा छोडऩे के लिए प्रेरित किया जाए। गांव में किसी अन्य व्यक्ति को भी रॉल मॉडल बनाकर ग्रामीणों को जागरुक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को नशा बीमारी से होने वाले सामाजिक व आर्थिक नुकसान के बारे में बताया जाए और नशा के प्रति जागरुक किया जाए। (Deputy Commissioner Partha Gupta)
उपायुक्त ने निर्देश दिए कि मेडिकल स्टॉर सीलिंग कार्रवाई प्रभावी हो और नशा की दवाई बेचने व नियमों की उल्लंघना करने वाले मेडिकल स्टॉर संचालक पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई की जाए। ड्रग कंट्रोल अधिकारी की ओर से बताया गया कि मेडिकल स्टॉर पर नियमित रुप से छापेमारी की जा रही है। नियमों की उल्लंघना पाए जाने पर मेडिकल स्टॉर को सील किया जा रहा है।