State government – चंडीगढ़- सिरसा 17 नवंबर। (सतीश बंसल इंसां )अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने धान की खरीद 25 अक्टूबर को शुरू करने की घोषणा की पर 10 दिन लेट शुरू करके किसानों को परेशान करने का काम किया। अनाज मंडियों में समर्थन मूल्य 2203 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीद का सरकार की ओर से घोषित 15 नवंबर को धान की खरीद बंद कर दी गई जबकि फसल अभी तक भी खेतों में खड़ी है। इस बार धान का सीजन लंबा चल रहा है तो खरीद का सीजन भी लंबा होना चाहिए। किसानों को पहले ही समर्थन मूल्य पूरा नहीं मिल रहा और समर्थन मूल्य पर खरीद बंद हो गई तो और नुकसान होगा, इसलिए 30 नवंबर तक खरीद का समय सरकार की ओर से बढ़ाया जाना चाहिए ताकि किसानों को आर्थिक नुकसान न हो।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि मौसम के लिहाज से इस बार धान की आवक निर्धारित समय से पहले ही मंडियों में शुरू हो गई थी, मंडियों में धान लबालब भर गया था। इसके बाद 05 नवंबर को धान की खरीद शुरू की गई। इस दौरान सरकार ने पुख्ता इंतजाम भी नहीं किए जिसके चलते कई खरीद एजेंसी बहुत कम मात्रा में धान की खरीद कर पाई । सरकार की नीति से परेशान किसानों ने यह मुद्दा भी उठाया लेकिन इस पर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की । समर्थन मूल्य पर धान की खरीद का निर्धारित समय 15 नवंबर तय किया गया है पर इस दौरान भी धान की आवक तेज है सरकार की मंशा है कि किसानों को परेशान किया जाए और औने-पौने दामों में प्राइवेट एजेंसियां धान की खरीद कर सके। दीपावली के अवसर पर सिरसा में किसानों को बोनस की बजाय धान की खरीद को 05 दिन के लिए बंद कर दिया गया जिसका किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। प्रदेश सरकार ने धान की खरीद के लिए समय तो निश्चित कर दिया लेकिन इस दौरान भी सुचारू रूप से धान की खरीद नहीं करके किसानों को प्रताड़ित करने का काम किया है।(State government )
उन्होंने कहा है कि जिस समय धान की रोपाई की गई थी तब हरियाणा के कई जिले घग्घर नदी की बाढ़ की चपेट में आ गए थे और फसलें डूब कर नष्ट हो गई थी। बाद में किसानों ने परमल धान की लेट वैरायटी पीआर-126 की रौपाई की थी जिसकी फसल अभी भी खेतों में खड़ी है जबकि सरकार 15 नवंबर को समर्थन मूल्य पर धान की खरीद बंद कर चुकी है। उन्होंने कहा है कि समर्थन मूल्य पर धान की खरीद बंद होने से प्राइवेट एजेंसी धान खासकर परमल की खरीद में मनमानी करेंगे। किसान पहले ही बाढ़ की विभीषिका कर मार झेल चुका है अब उस पर धान के मूल्य को लेकर दोहरी मार पड़ सकती है। अगर सरकार वाकई किसान हितेषी है तो उसे समर्थन मूल्य पर धान की खरीद 30 नवंबर तक जरूर करनी चाहिए ऐसा कर सरकार किसानों के जख्मों पर मलहम लगा सकती है। (State government )
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सोशल मीडिया में अखबारों के माध्यम से केंद्र में प्रदेश की सरकार किसान हितेषी होने के बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन धरातल पर किसान विरोधी नीतियां लागू करके किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगड़ने का काम कर रही है। प्रदेश में धान की खरीद के मामले में उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए तो सरकार की नीति स्पष्ट हो सकती है। प्रदेश की कई अनाज मंडियों में किसान अपनी धान की फसल बेचने के लिए आए लेकिन उनकी खरीद दो से तीन दिनों के अंतराल में हुई इस दौरान किसानों को परेशान करने का काम किया। धान की खरीद के मामले में सरकार की मंशा है कि प्राइवेट एजेंसियां औने पौने दामों में धान की फसल खरीद कर बाजार में महंगे भाव में बेच सके। सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के अलावा हर वर्ग को परेशान करने पर तुली हुई है खासकर बेरोजगार युवक युवतियों को रोजगार देने के नाम पर भटकाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि जब से भाजपा व गठबंधन की सरकार प्रदेश में आई है तब से बेरोजगारी का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है इसके अलावा प्रदेश में कानून व्यवस्था का दिवाला निकल चुका है।