राजयोगा एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के धार्मिक प्रभाग तथा ब्रह्माकुमारीज़ सिरसा द्वारा आनन्द सरोवर परिसर सिरसा में ‘सनातन संस्कृति की बुनियाद आध्यात्मिकता’ (Spirituality) विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा से माखोसरानी के नन्नू नाथ, ब्रह्मानन्द महाराज -गोपाल पूरी सन्यास आश्रम, श्री कृष्ण लाल प्रधान राधा स्वामी डेरा रूपावास, बाल ब्रह्मचारी बाबा जनक दास मीरपुर, बाबा हंसराज टिब्बी, श्री लक्ष्मण नाथ खारिया, आचार्य द्रोण, श्री हरिकिशन गोयल, अध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद, श्री गौरव शर्मा, जिला मंत्री विश्व हिन्दू परिषद, श्री रितेश जोशी महासचिव श्री ब्रह्मण सभा, श्री सन्यनारायण महाराज- शकर मंदोरी, श्री बसन्तनाथ कल्याणी बाबा हरिनाथ अखाड़ा माखोसरानी सहित सैकड़ों गणमान्य हस्तियों नेशिरकत की जिनका ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा विशेष सम्मान किया गया।
बीके रामनिवास के कुशल मंच संचालन, बीके रानी दीदी द्वारा मेडिटेशन अभ्यास, बाल कलाकारों के सांस्कृतिक नृत्य तथा आध्यात्मिक गीतों की सरगम ने समारोह की शोभा को और बढ़ाया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंची महामण्डलेश्वर साध्वी ऋतम्भरा झज्जर ने कहा कि पूरे विश्व में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करना और एक ईश्वर की सन्तान के नाते से वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ सबके साथ व्यवहार में आना सनातन संस्कृति का मुख्य सन्देश है जिसका हमें अनुसरण करना चाहिए, उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के साथ मिलकर एक ही मंच से मानव कल्याण के कार्यों को करने की इच्छा प्रकट की और अपने अनुभवों को सांझा करते हुए कहा कि इस ईश्वरीय परिवार में आकर मैंने जो निश्छल प्रेम, पवित्र वाइब्रेशन और अपने अलौकिक स्वरूप का दिव्य अनुभव किया है वो अविस्मरणीय है।
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सम्मेलन के मुख्य वक्ता माउंट आबू से पधारे संस्था के धार्मिक प्रभाग के मुख्यालय संयोजक राजयोगी बीके रामनाथ ज ने कहा कि सनातन संस्कृति शाश्वत है जो सृष्टि के आदि काल से मनुष्य को जागृत और सशक्त करती आ रही है। सभा में उपस्थित मन्दिरों के पुजारियों का सम्मान करते हुए उन्होंने कहा कि पुजारी से ही मन्दिर की शोभा होती है इसलिए पुजारी होना गर्व की बात है। (Spirituality)
सभा में बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए विश्व हिन्दू परिषद, हिसार के विभागाध्यक्ष भ्राता बृजमोहन शर्मा नें सन्तों, तपस्वियों के मध्य उपस्थिति को अपना सौभाग्य बताया और कहा कि ऐसी महान विभूतियों के सानिध्य में बैठकर की हमारा वैचारिक दृष्टिकोण बदलता है।
कार्यक्रम अध्यक्षा राजयोगिनी बिन्दू दीदी नें कहा कि सनातन संस्कृति की मूल प्रेरणा पवित्रता अर्थात ब्रह्मचर्य है जिससे ही हमारे जीवन में आध्यात्मिक शक्ति का उदगम होता है और साधारण मनुष्य देवतुल्य हो जाता है, सके। सम्मेलन में उपस्थित तरावड़ी के आदरणीय सतेन्द्र गिरी महाराज ने अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मन्दिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की सबको बधाई दी और बड़ी गर्मजोशी से इस दिन दीपक जगाकर दीवाली मनाने के लिए सभा को प्रेरित भी किया। (Spirituality)