Geeta – अखिल भारतीय धर्म सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी दिनेशानंद शास्त्री ने जनता भवन स्थित राम भवन परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बृहस्पतिवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण एक सिद्धस्त कर्मयोगी थे। उन्होंने लुप्त हुई कर्मयोग विद्या का पुर्नद्धार किया। विश्व को गीता के ज्ञान का अमर संदेश देकर उन्होंने मानवता पर महान उपकार किया। गीता ज्ञान के कर्मयोग की अनूठी कला को मानव अपने जीवन में उतार कर देवता बन सकता है। स्वामी ने कहा कि मनुष्य को आज भगवान की प्राप्ति के लिए जंगलों व पर्वतों पर जाने की आवश्यकता नहीं है।
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मानव गृहस्थी का पालन करते हुए भी अपनी मंजिल पा सकता है। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण और राजा जनक का उदाहरण देते हुए कहा कि इन सभी ने गृहस्थ में रहते हुए भी निर्लेप नारायण रहकर मोक्ष की मंंजिल को पा लिया। वैसे ही यदि मानव भी इस भाग-दौड़ की जिंदगी में से थोड़ा सा समय निकालकर भक्ति में लगाए तो वो अपना जीवन संवार सकता है। उन्होंने कहा कि इस संसार में कोई भी अपना नही है, सभी स्वार्थी है। अपना कोई है तो वह भगवान है जो जीव को दुख में याद करने पर संकट की घड़ी से उबारता है।
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उन्होंने गज(हाथी)और गृहा(मगरमच्छ)का प्रकरण सुनाते हुए कहा कि गजेंद्र नाम का हाथी त्रिकुट पर्वत पर अपने परिवार के साथ रहता था। उन्होंने कहा कि एक समय की बात है हाथी का परिवार प्यास लगने पर पर्वत के साथ लगते सरोवर में पानी पीने गया, वहां पानी पीने के बाद हाथी का परिवार जलक्रीड़ा करने लगा इतने में पानी में रहने वाले मगरमच्छ ने हाथी का पांव पकड़ लिया और पानी के भीतर ले गया। उन्होंने कहा कि जब हाथी का पूरा शरीर पानी में चला गया तो उसके परिवार के लोग पत्नी, भाई, बच्चे उसे छोडक़र अपने घर को चल दिए। हाथी गजेंद्र ने जब देखा कि इस संकट की घड़ी में तेरे अपने तुझे छोड़ गए तो उसने भगवान को याद किया तब भगवान श्री कृष्ण ने आकर सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ की गर्दन काट कर गजेंद्र नाम के हाथी को बचाया। (Geeta)
उन्होंने कहा कि हाथी तब यह अहसास हुआ कि बुरे समय में कोई भी अपना नही होता, संकट के समय सभी संगी-साथी साथ छोड़ देते है जीव का कोई साथ देता है तो सिर्फ भगवान ही है। स्वामी ने फरमाया कि इसलिए मानव को इस सांसारिक बंधनो के मोह को त्याग कर परमात्मा को याद करना चाहिए ताकि वो दुख के समय मानव को तार सके। स्वामी दिनेशानंद ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण प्रबल इच्छा शक्ति एवं सुदृढ़ संकल्प के धनी थे। वे कुशल राजनितिज्ञ भी थे। स्वामी जी ने भगवान कृष्ण की लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया और माखन चोरी की लीलाओं बताते हुए कहा कि कैसे श्रीकृष्ण ने बाज रुप में खेल-खेल में राक्षसों का अंत किया। इस अवसर पर वासुदेव, श्री कृष्ण व भगवान बामन अवतार की झांकियां प्रस्तुत की गई। आज की कथा में महिलाओं ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म पर माखन मिश्री का प्रसाद बांट कर श्रीकृष्ण जन्म की खुशियां मनाई।