बिश्नोई सभा सिरसा, जांभाणी साहित्य अकादमी बीकानेर व ग्रामवासियों के सहयोग से गांव गुसाईआना व बुर्जभंगू में आयोजित पांच दिवसीय गैर आवासीय जांभाणी (Jambhani) संस्कार शिविर संपन्न हो गए। सभा के प्रचार सचिव डा. मनीराम बिश्नोई ने बताया कि ये शिविर समाज के किशोरवस्था 13 वर्ष से 17 वर्ष आयु वर्ग के छात्र-छात्राओं हेतु आयोजित किए गए थे, जिनमें 100 से अधिक विद्यार्थियों ने बढ़ चढक़र भाग लिया।
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शिविर में बच्चों को श्रीगुरु जांभोजी के जीवन चरित्र, उनकी शिक्षाओं, 29 धर्म नियमों, बिश्नोई पंथ का इतिहास, सब्दवाणी, हवन यज्ञ व पाहल, योगा-प्राणायाम, वन्य जीव व पर्यावरण सरंक्षण, नशे के दुष्परिणाम, भोजन व स्वास्थ्य, आदर्श विद्यार्थी दिनचर्या, कैरियर गाईडेंस आदि विषयों से अवगत करवाया। डा. बिश्नोई ने बताया कि कार्यक्रम में गुसाईआना में चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय से डा. हरीश रोहिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि सिरसा से ही पचारक कमल कुमार व राजेंद्र कड़वासरा विशिष्ठि अतिथि थे।
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जबकि बुर्जभंगू में डायरेक्टर आरपीएस विद्यालय जनकराज बैनीवाल ने मुख्यातिथि व वायुसेना केंद्र सिरसा की एक्वाडरन लीडर डा. तपस्या बिश्नोई ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थिति दर्ज करवाई। सभी ने बच्चों को दी गई शिक्षाओं पर चलने का आह्वान किया व उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। बिश्नोई सभा सिरसा के प्रचार सचिव व शिविर संयोजक डा. मनीराम सहारण ने समय-समय पर बच्चों को संबोधित किया और मंच संचालन भी बखूबी किया। शिविर में बच्चों के लिए निबंध, भाषण, गायन, चित्रकला व लिखित परीक्षा जैसी प्रतियोगिताएं रही। प्रतियोगिताओं में अव्वल विद्यार्थियों को मुख्यातिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। गुसाईआना शिविर में अंकुश राहड़ सुपुत्र संजय सिंह प्रथम व कशिश बैनीवाल पुत्री विपिन द्वितीय रही। (Jambhani)
जबकि बुर्जभंगू शिविर में विविआ सिहाग प्रथम, लवण्या बैनीवाल द्वितीय एवं प्रतिभा बैनीवाल तीसरे स्थान पर रही। विविआ, लवण्या, तक्ष व अभिमन्यु ने शिविर के अनुभव भी सांझा किए। सभा सचिव ओपी बिश्नोई व अन्य सदस्यों के अतिरिक्त शिविरों में बाड़मेर, राजस्थान से पधारे हरीराम खीचड़ का विशेष सहयोग रहा। गुसाईआना प्रभारी सुरेंद्र कसवां, बुर्जभंगू शिविर प्रभारी सुनीता ने अपनी पूरी टीम के साथ शिविर की व्यवस्था को संभाले रखा। गांव के मौजिजजनों व कार्यकर्ताओं ने भी शिविर संचालन में पूरा सहयोग दिया। बच्चों के खान-पान व पठन-पाठन की व्यवस्था की। शिविर के अंतिम दिन अमावस्या के दिन बच्चों ने बुर्जभंगू के श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर में प्रात: काल हवन यज्ञ में भाग लिया व पाहल ली। शिविर के समापन पर बच्चों को अपने घरों व खेतों में रोपित करने के लिए पौधे भेंट किए गए।