सिरसा।।(सतीश बंसल)। पुलिस प्रशासन द्वारा शहर में धड़ाधड़ काटे जा रहे भारी भरकम चालान पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सांसद डा. सुशील इंदौरा ने कहा कि सरकार चालान काटने को आमदनी बढ़ाने का जरिया न बनाए। जारी बयान में पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार द्वारा चालान काटना जायज है, लेकिन चालान यातायात नियमों को दरकिनार कर न काटे जाएं।
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डा. इंदौरा ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि प्रदूषण के नाम पर धांधली मची हुई है। प्रदूषण सर्टिफिकेट तो 100-150 रुपए में बन जाता है, लेकिन अगर किसी ने गलती से नहीं बनवाया और किसी का भूलवश से अपडेट करवाना रह गया तो उसे 10 से 15 हजार रुपए का चालान थमाया जा रहा है, जोकि समझ से परे की बात है।
पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार की ओर से अधिक स्पीड के भी चालान काटेजा रहे हंै, जबकि हाइवे स्पीड के लिए बनाए गए हंै। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो कंपनी से तालमेल कर स्पीड पर पाबंदी लगाए, न कि चालान काटकर आम जनता को परेशान करे। जब गाडिय़ां रफ्तार ही 100 की स्पीड से पकड़ती है तो वो धीरे कैसे चलेगी। इसलिए सरकार को चाहिए कि वो चालान की बजाय अपने नियमों में बदलाव करे, न कि जनता पर जबरन चालान थोपे।
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पूर्व सांसद ने कहा कि 1000 से 2000 तक तो चालान ठीक है, लेकिन 10 से 15 हजार रुपए के चालान आम आदमी कहां से भरेगा। ये तो सरासर आम जनता के लिए एक सजा है। उन्होंने कहा कि नियमों का पालन न करने वालों पर जुर्माना जरूरी है, लेकिन उन्हें नियमों का पाठ पढ़ाना भी जरूरी है। सरकारें जनहित के फैसले लेती है, लेकिन यहां तो सरकार जनता को चारों तरफ से लपेटने का काम कर रही है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वो सजा के तौर पर जुर्माना लगाए, न कि इसे आमदनी का जरिया बनाए। भारी भरकम चालान काटने की बजाय सरकार अपने नियमों व व्यवस्था में बदलाव करे, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।