नई दिल्ली। जीएसटी (GST) परिषद ने कर दरों में बढ़ोतरी पर राज्यों से राय नहीं मांगी है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी है। सूत्रों ने कहा कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर रहे मंत्रियों के पैनल को अभी अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपनी है। बता दें कि परिषद ने पिछले साल कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में राज्य मंत्रियों का एक पैनल गठित किया था, जो कर दरों को युक्तिसंगत बनाकर राजस्व बढ़ाने के तरीकों का सुझाव देगा। सूत्रों ने कहा कि 143 वस्तुओं पर दरों में बढ़ोतरी को लेकर राज्यों से विचार नहीं मांगा गया है। इसके साथ ही, सूत्रों ने कहा, आधे से अधिक वस्तुओं को 28 प्रतिशत के उच्चतम कर जीएसटी स्लैब में स्थानांतरित करने का भी कोई प्रस्ताव नहीं है।
इससे पहले बीते रविवार को समाचार एजेंसी पीटीआइ ने रिपोर्ट किया था कि अगले महीने होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में 5 प्रतिशत वाले कर स्लैब को खत्म किया जा सकता है और इसके साथ ही 5 प्रतिशत स्लैब के कुछ ज्यादा खपत वाले उत्पादों को 3 प्रतिशत वाले स्लैब में जबकि बाकियों को 8 प्रतिशत वाले स्लैब में डाला जा सकता है। पीटीआइ ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि राजस्व बढ़ाने को लेकर ज्यादातर राज्यों की यह राय है। हालांकि, अभी पीटीआइ ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि जीएसटी परिषद ने राज्यों से राय नहीं मांगी है।
बता दें कि अभी जीएसटी (GST) में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार कर स्लैब हैं। सोने और स्वर्ण आभूषणों को तीन प्रतिशत वाले स्लैब में रखा गया है। वहीं, कुछ बिना ब्रांड और बिना पैकिंग वाले उत्पादों को जीएसटी में नहीं रखा गया है। इनके अलावा पेट्रोल और डीजल भी जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं, उन्हें भी इससे बाहर रखा गया है।