यमुनानगर, 5 मई (आर. के. जैन): केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में डर मत विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी (Online गोष्ठी) का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डा. नरेन्द्र आहुजा विवेक पूर्व राज्य औषधि नियंत्रक हरियाणा सरकार ने कहा कि हम सभी मनुष्य अपने जीवन में किसी भी जाने अन जाने भय से भयभीत रहते हैं। इसी भय डर के कारण मन में घबराहट, हाथों पैरों में कम्पन उद्विग्नता होती है। हमारे भय का कारण हमारे जीवन में हमारे द्वारा किए गए दुष्कर्म होते हैं।
हम यह भली भांति जानते हैं कि हम सभी को अपने सम्पादित कर्मों के फल ईश्वर की न्याय व्यवस्था में अवश्यमेव भौक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम के अंतर्गत भोगने ही पड़ते हैं। हम अपने जीवन में यह दुष्कर्म कितने भी छिपा कर करें लेकिन एक तो हम खुद और दूसरा दृष्टा सर्वव्यापी परमेश्वर हमारे सभी कर्मों को जानते हैं। हम अपने इन दुष्कर्मों के फलों से मिलने वाले दण्ड से डरते भयभीत रहते हैं। यही डर हमारे मन के कोने में सदा रहता है और हम डर से भयभीत मन में घबराहट ए हाथों पैरों में कम्पन, उद्विग्नता, निष्क्रियता, अशक्तता, असंतुलन, मूर्छा, बेहोशी, तनाव, विषाद, ग्लानि, चिड़चिड़ापन, सर दर्द, पीठ दर्द, अनिद्रा जैसे कई लक्षण इस डर के कारण पैदा हो जाते हैं।
वेद भगवान मनुष्य को डर मत(Online गोष्ठी) का आदेश देते हुए यजुर्वेद 6/35 में कहा मा भेर्मा संविकथा उर्ज धत्सव धिषणे वीडवी सती वीड येथामूजर्म अर्थात मत डर मत घबरा कांप मत ऊर्जा धारण कर द्यो और पृथ्वी के समान अतिशय बल युक्त तथा सद्गुण युक्त होते हुए सुदृ रह ऊर्जा धारण करके तेरे पाप नष्ट हों सोम नहीं। उन्होंने आगे कहा कि परमात्मा तो सर्वव्यापी है हमारा ओढऩा बिझोना जिसने हमें चारो तरफ से आच्छादित किया हुआ है और चारों तरफ से प्रभु हमारी सम्यक रक्षा कर रहे हैं।
आपको अपने चारों तरफ अपनी रक्षा में जानकर मैं अभय हो गया हूँ। मेरे भय के कारण मेरा अतीत, वर्तमान, हमारी दिशा, ज्ञान अज्ञान, दिनचर्या कर्म आदि हैं। इन डर के कारणों को जानकर हमें इस डर से मुक्ति के निम्न लिखित साधनों को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि सब कार्य ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से करे तो सफलता मिलेगी।
मुख्य अतिथि आर्य नेता महेन्द्र जेटली व अध्यक्ष ओम सपरा ने भी ईश उपासना पर बल दिया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन दिया । कार्यक्रम में गायक रविन्द्र गुप्ता, नरेन्द्र आर्य सुमन, प्रवीना ठक्कर, अंजू अहुजा, रजनी चुघ, कुसुम भंडारी, कमला हंस, रेखा गौतम, जनक अरोड़ा, रचना वर्मा, सुनीता अरोड़ा आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किये।