Journey of Actor Girish Thapar : बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार “श्री गिरीश थापर जी” से विशेष बातचीत “नव टाइम्स न्यूज़” द्वारा, रोमांचक सफर की कहानी गिरीश थापर की ज़ुबानी।
कुछ इस तरह से हुआ संवाद:-
प्रशन:- सर्वप्रथम गिरीश आप हमें अपने और अपने परिवार के बारे में बताएं ?
गिरीश:- ज़रुर , जैसा कि आप जानते हैं मेरा नाम गिरीश थापर है ,और मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर का रहने वाला हूं मेरठ में ही मेरा जन्म हुआ। मैंने अपनी सारी शिक्षा मेरठ से ही प्राप्त करी, हमारे परिवार में मेरे भाई है और उनकी पत्नी व बच्चे हैं हमारी जॉइंट फैमिली है जो मेरठ में ही रहती है मेरे परिवार में हम चार लोग हैं मैं मेरी पत्नी और मेरे बेटा व बेटी , बेटा मेरा कनाडा में रहता है और मेरी पत्नी व बेटी मेरठ में ही रहते हैं और में अकेला मुंबई में रहता हूं।
प्रशन :- बचपन से ही कुछ अलग करने का जुनून था ?
गिरीश :- बचपन से ही मुझे कुछ अलग हटके करने का जुनून था, मुझे शोहरत वाली जिंदगी जीनी थी, इसलिए मैंने सोचा कि चलो क्रिकेटर बन जाते हैं लेकिन वहां कुछ हाथ – पांव जम नहीं पाया फिर मैंने एक्टर बनने कि इच्छा जताई लेकिन अगर आप लोगो को एसा कहोगे कि मुझे तो एक्टर बनना है तो पहले तो वो आपको टेड़ी नज़र से देखेंगे मुझे यह काम करना था लेकिन मैं किसी से कह नहीं पाता और जिनको कहता था वह ज्यादा तवज्जो नहीं देते थे उन दिनों मेरे एक दोस्त कपिल शांडिल्य जो थिएटर करते थे वह जम्मू से मेरठ आए थे मैं उनकी रिहर्सल देखने जाता था लेकिन मैं उन्हें कह नहीं पाता था कि मुझे भी यह करना है फिर देखते-देखते मेंने एक दिन उन्हें कहा कि जैसा आप लोग करते हैं वैसा तो मैं भी कर सकता हूं उन्होंने कहा कि तुम पक्का कर सकोगे मेने कहा बिल्कुल करूंगा और इससे बेहतर कर सकता हूं तो मेने उनको एक्ट करके दिखाया जो उनको पसंद आया ओर इस तरह 26 जनवरी 1987 को मेने पहला थिएटर “चोराहा” किया फिर इस तरह मुझे “ऑल इंडिया ड्रामा कंपटीशन” में पुरे देश में प्रोग्राम करने का मोका मिला।
प्रशन :- मेरठ से मुंबई जाने कि पहली पारी ?
गिरीश:- मेरे कुछ मित्र मेरठ के जो मुंबई मे “फिल्म इंडस्ट्री” में काम करते थे जब वह मेरठ आते थे तो मैं उन्हें कहता था कि मुझे भी मुंबई में काम करना है मुझे भी कोई रास्ता बताओ तो इस तरह 1997 में पहली बार मैं मुंबई (Journey of Actor Girish Thapar) आया उस समय मेरठ के हमारे बड़े भाई थे डॉ वेद थापर जिनका एक सीरियल आता था उस समय उसमें मैंने कुछ दिन काम किया उसके बाद कुछ और सीरियलों में काम करने का मौका मिला लेकिन उस समय मेरा दिल मुंबई में नहीं लगा और कुछ समय बाद में मेरठ वापस आ गया।
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प्रशन:- मन ने वापस कदम मोड़ें मेरठ की ओर?
गिरीश:- वापस आकर मैं अपने पिताजी के दुकान पर बैठने लगा लेकिन में वहां हर समय एक्टींग के बारे में ही सोचता रहता था क्योंकि मैंने ठान ही रखा था कि कुछ अलग करना है इस दौर मे एक्सीडेंटली मैंने लगभग 10 साल प्राथमिक स्कूल में एक अध्यापक के रूप में कार्य किया घर वालों के दबाव और जिम्मेदारियों के चलते मुझे यह करना पड़ा लेकिन 2010 में मैंने वह नौकरी छोड़ दी और फिर 1 साल में घर पर ही बैठा रहा ।
प्रशन :- दूसरी पारी खेलने फिर मुंबई का रुख किया?
गिरीश:- 2012 में मैंने अपने घरवालों को कहा कि मुझे 6 महीने के लिए दुबारा मुंबई जाने दो अगर इस बार कुछ नहीं कर पाया तो मुंबई की तरफ पैर करके भी नहीं सोएंगे मुंबई दुबारा आने से पहले मैंने अलीगढ़ में एक शो किया था तो उस शो कि क्रिएटिव हेड ने मुझे कहा था कि जब मुंबई आओ तो मिलना फिर जब मैं मुंबई गया तो उनसे मिला उन्होंने कई जगाहो पर मेरा ऑडिशन (Journey of Actor Girish Thapar) करवाया लेकिन कहीं कोई बात नहीं बनी मुंबई आए मुझे 12 – 15 दिन हो गए थे और मैं बिना काम के ही रह रहा था एक दिन अचानक उनका फोन आया उन्होंने कहा जल्दी से स्टूडियो में आ जाओ एक शूट करना है वहां मैंने 8 दिन “सपनों के भंवर में” नाम के सीरियल में काम किया है लेकिन वह सीरियल जल्दी बंद हो गया।
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प्रशन :- सीरियल बना लाइफ का टर्निंग प्वाइंट?
गिरीश:- जैसा कि मैंने बताया कि वह सीरियल बंद हो गया लेकिन उस काम को देख कर मुझे एक सीरियल से दूसरे और दूसरे से तीसरे जैसे :- लापतागंज, देवों के देव महादेव, चिड़ियाघर, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, उत्तरण, सपने सुहाने लड़कपन के तथा अनेकों सीरियल्स में काम करने का मौका मिला मैंने भले ही 2 दिन के लिए काम क्यों ना किया हो लेकिन काम करते-करते लगभग 450 से 500 सीरियल मे मैं अभी तक काम कर चुका हूं और बहुत सी सीरियल्स में अभी काम कर रहा हूं इस दौर में फिल्मों का सिलसिला भी चला है जैसे:- भारत भाग्य विधाता, रेस 3, लीला एक पहेली, बंटी बबली पार्ट 2 जैसी अनेकों फिल्मों में भी काम करने का मौका मिला और अभी तक लगभग 40 से 45 फिल्मों में भी मैं काम कर चुका हूं और अब मेरी आने वाली भी कई फिल्में जैसे:- शमशेरा, इंडिया लॉक डाउन, सरकार की सेवा में जैसी फिल्में आप को बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगी इन सब के अलावा आपको मेरे कई विज्ञापन भी देखने को मिलेंगे और इसके अलावा अब यह स्थिति हो गई है, जैसे पहले मैं कंबल को नहीं छोड़ता था और अब कंबल मुझे नहीं छोड़ता है।
प्रशन :- आपको अपने काम के दौरान कितना संघर्ष देखने को मिला?
गिरीश:- नहीं संघर्ष को मैं संघर्ष के नज़रिए से नहीं देखता वो कहते हैं ना कि ‘यह तो मोतीचूर के लड्डू है जो खा रहा है वह भी रो रहा है और जो नहीं खा रहा है वह भी रो रहा है’ लेकिन हमें तो खा कर रोना है और इस का मजा लेना है क्योंकि परेशानियां तो सबके काम में आती है अब तो मुझे इस का मजा लेना है जिस पर मैं यही कहना चाहूंगा कि “मिट्टी है तो पल भर में बिखर जाएंगे हम, खुशबू है तो हर दौर को महकाएगें हम, हम रूह ए सफर है हमें नामों से ना जान कल फिर किसी और नाम से आ जाएंगे हम” ।
एक मज़ाकिया जवाब…
प्रशन :- क्या आपको कविता लिखने का भी शौक है और आप किन को अपना गुरु मानते हैं?
गिरीश:- नहीं – नहीं मुझे कविता लिखने का शौक नहीं कविता चुराने का शौक है कहीं से शायरी उठा ली तो कहीं से कविता और मौका देख कर जहां अच्छा लगे वहां कह दिया ,
और पंजाब के लोक गायक ‘गुरदास मान’ उनको मैं अपना गुरु मानता हूं, उनके अंदाज़ को ही मैं फॉलो करता हूं।
प्रशन:- आप अपने आप को नेगेटिव से पॉजिटिव कैसे रखते हैं?
गिरीश:- मैं हमेशा पॉजिटिव विचार रखता हूं और जिंदगी में खुश रहता हूं क्योंकि आदमी अगर कोई काम करता है तो वह कहता है कि यह मैंने किया है लेकिन असलियत में वह काम ईश्वर ने किया होता है “ईश्वर कहता है कि मनुष्य तु वो करता है जो तू चाहता है पर होता वो है जो मैं चाहता हूं, इसलिए तू वो कर जो मैं चाहता हूं फिर होगा वो जो तू चाहेगा” कई बार ऐसा होता है कि हम 6 – 6 पेज के डायलॉग एक ही टेक में बोल देते हैं और कई बार पूरे दिन में एक पेज का भी टेक नहीं कर पाते अगर आप सच्चे मन से ऊपर वाले को याद करके वह काम करोगे तभी वह काम सफल होगा।
प्रशन:- अगर आपको किसी प्रसिद्ध कलाकार की जगह लेनी हो तो आप किसकी लेना चाहोगे?
गिरीश:- नहीं लोग कहते हैं ऐसा कि मैं उसकी जगह ले लूंगा लेकिन सबका एक अपना ओधा तय होता है कोई किसी की जगह ले ही नहीं सकता क्योंकि उन्होंने जो काम कर लिया वह लेजंड काम कर लिया मैं उनसे बेहतर या बुरा तो कर सकता हूं लेकिन उन जैसा नहीं कर सकता मैं वह नहीं बन सकता जो वह लोग बन चुके हैं।
प्रशन :- जो लोग बॉलीवुड इंडस्ट्री में काम करना चाहते हैं उनके लिए आप क्या सुझाव देंगे?
गिरीश:- बिल्कुल मैं कहना चाहूंगा कि यह फिल्ड बड़ी ही मुश्किल फील्ड है अगर आपको ‘आईएस’ बनना है आप मेहनत करोगे तो आप बन जाओगे अगर आपको ‘डॉक्टर’ बनना है तो आप 5 साल की डॉक्टरी करोगे तो आप डॉक्टर बन जाओगे लेकिन इस फील्ड में आपको रोज कुछ ना कुछ सीखना पड़ता है क्योंकि एक कलाकार (Journey of Actor Girish Thapar) को कई किरदार निभाने पड़ते हैं , यहां आपको कोई कुछ सिखाएगा नहीं यहां कुछ ना कुछ तो सीख कर ही आना पड़ेगा हर चीज़ का थोड़ा-थोड़ा ज्ञान होना ही चाहिए क्योंकि यहां हर रोज़ भूसे के ढेर से सुई ढूंढनी पड़ती है लोगों को यह लगता है कि यहां एक काम मिल जाए तो बस उसके बाद तो जिंदगी संवर जाएगी लेकिन ऐसा नहीं है यहां हर रोज नया काम पाने के लिए शुन्य से मेहनत करनी पड़ती है बैठे-बिठाए कुछ नहीं मिलता।‘गिरीश थापर जी’ के साथ विशेष संवाद हमारे पत्रकार ‘पिंटू राय’ ने किया।