चंडीगढ़। हरियाणा के बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कहा कि किसी भी सूरत में प्रदेश में बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी। यहां तक कि प्रदेश में बिजली की कमी को पूरा करने के लिए 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है। कृषि क्षेत्र को फिलहाल रात में सात घण्टे बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा, शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ प्रदेश के लगभग 5600 से अधिक गांवों में 24 घण्टे बिजली दी जा रही है।
बिजली मंत्री ने कहा कि स्वाभाविक है कि गर्मी के दौरान तकनीकी कारणों से जब कोई खराबी आ जाती है तो उसे ठीक करने में कुछ समय तो लगता ही है। प्रदेश में पिछले वर्ष गर्मी के मौसम में अधिकतम मांग 12125 मेगावाट प्रतिदिन थी, जो इस वर्ष पीक समय में लगभग 15000 मैगावाट की रहने का अनुमान है। इस 2500 से 3000 मैगावाट के अंतराल को पाटने के लिए बिजली निगमों ने पुख्ता प्रबन्ध कर दिए हैं।
बिजली मंत्री ने कहा कि वर्तमान में पानीपत में 250-250 मेगावाट की तीन इकाइयां, खेदड़ में 600-600 मेगावाट की दो इकाइयां तथा यमुनानगर में 300-300 मेगावाट की दो इकाइयां संचालित हैं। इसके अलावा, अदानी पावर से 1400 मेगावाट बिजली ली जा रही है। उन्होंने कहा कि अदानी से 1000 मैगावाट, छत्तीसगढ़ से 350 मैगावाट व मध्य प्रदेश से 150 मैगावाट अतिरिक्त बिजली लेने के लिए समझौते किए गये हैं और इस माह में यह बिजली मिलनी आरम्भ हो जाएगी। यदि पीक समय में जरूरत हुई तो बाजार से और बिजली ली जाएगी और ‘पीक समय’ में भी बिजली की किल्लत नहीं होने दी जाएगी।
बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने कहा कि आमतौर पर हरियाणा में गर्मी का पीक समय 15 जून से माना जाता है और जून व जुलाई में बिजली की अधिक मांग होती है। यदि हम पिछले 15 वर्ष की तुलना करें तो इस बार अप्रैल में ही गर्मी तेज हो गई है, जिससे मांग बढऩा स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि इस समय जगमग योजना के तहत प्रदेश के 6503 गांवों में से लगभग 5600 गांवों में 24 घण्टे बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसी प्रकार लाइन लोसिस, जो वर्ष 2014 से पहले 37 प्रतिशत था, उसे अब 13.4 प्रतिशत तक लाया गया है। इसी प्रकार, देश के बिजली निगमों के घाटे को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘उदय’ योजना लागू की जिसके अन्तर्गत बिजली निगमों का घाटा राज्य सरकारों ने अपने खाते में ले लिया। हरियाणा ने इसका परिणाम यह रहा कि बिजली निगम जिनका घाटा लगभग 37,000 करोड़ रुपये था, उसकी भरपाई के लिए की गई और अब बिजली निगम पहली बार लगभग 2000 करोड़ रुपये के मुनाफे में है। उन्होंने कहा कि इस 2000 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग भी बाजार से बिजली खरीदने पर किया जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते शहरीकरण व दिल्ली से उद्योगों के बाहर शिफ्ट होने के कारण बिजली की मांग 1000 से 1500 मेगावाट प्रतिदिन तक बढ़ी है। दिल्ली से लक्कड़ मंडी, सब्जी मंडी, वेयरहाउसिस व अन्य औद्योगिक इकाइयां हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र में शिफ्ट हुई हैं, इसलिए भी बिजली की मांग बढ़ी है। एनसीआर में बढ़ते शहरीकरण के कारण बहुमंजिले फ्लेट्स बने हैं, जिनमें भी बिजली की अधिक खपत हो रही है।
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