डिंग। (सतीश बंसल) विश्व कठपुतली दिवस पर मंगलवार को (World Puppet Day) जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) डिंग में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्थान के प्रवक्ता सुरेंद्र नूनियां ने बताया कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय, रानियां से आए शिक्षक पंकज कुमार ने प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्राध्यापकों के सामने कठपुतलियों द्वारा कई अलग-अलग प्रस्तुतियां दी गई।
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पंकज कुमार ने छात्राध्यापकों को बताया कि शिक्षा में कठपुतलियों के प्रदर्शन में हमें बहुत सहायता मिलती है। इस अवसर पर संस्थान के प्राचार्य कपिल कुमार पूनियां ने कहा कि बच्चे कठपुतलियों के जरिए आसानी से चीजों को समझ जाते हैं। इसके साथ ही अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने पाया कि कठपुतलियां भावनात्मक रूप से प्रभाव डालती है। शांत बच्चे भी बोलना शुरू कर देते हैं।
उन्होने कहा कि कठपुतली के खेल का मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक मानव कठपुतली के खेल से बहुत प्रभावित होते हैं। (World Puppet Day) जिस प्रकार से कठपुतलियां धागे से बंधी होती हैं उसके बाद भी सभी कार्य को बहुत अच्छे से और आसानी से कर पाती हैं, उसी प्रकार हमारा जीवन भी बंधन से बनने के बाद बहुत परेशान हो जाता है और किसी भी कार्य को करने के लिए हमारे अंदर कोई हिम्मत नहीं होती, परंतु कठपुतलियों से हमें यह सीख मिलती है कि बंधन से बंधे रहने के बाद भी हर कार्य को आसानी से किया जा सकता है।
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कठपुतली एक ऐसी कला होती है, जिससे मनोरंजन का प्रमुख साधन माना जाता है और हमारे भारत देश में यह कला प्राचीन काल से ही चली आ रही है। (World Puppet Day) शिक्षा के क्षेत्रमें कठपुतली कला का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह माध्यम बच्चों में कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और अवलोकन कौशल विकसित करने में मदद करता है। इस अवसर पर शीला रानी, रोशनलाल कंबोज, देवीलाल, सुखपाल फौगाट, गुरादित्ता, मंदीप शर्मा, सुनील कुसुम्बी, सुमित कुमार मुन्ना, सुभाष बैनीवाल व सज्जन फौजी उपस्थित थे।