दोहा। एयर इंडिया: टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया 200 से अधिक नए विमान खरीदने पर विचार कर रही है। जिन विमानों को खरीदा जाना है, उनमें से 70 प्रतिशत नैरो बाडी वाले होंगे। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की 78वीं वार्षिक आम बैठक से इतर विमानन उद्योग के सूत्रों के मुताबिक चौड़ी बाडी वाले विमानों के लिए कंपनी ने एयरबस के ए350 का चयन कर लिया है, जबकि नैरो बाडी विमानों के लिए एयरबस और बोइंग के साथ उसकी बातचीत चल रही है।
एयरबस ए350 जैसे चौड़ी बाडी वाले विमान में एक बड़ा ईधन टैंक होता है। एक बार इस टैंक को पूरा भरने के बाद विमान भारत से अमेरिका की यात्रा बिना रुके पूरी कर सकता है। एयर इंडिया ने 2006 के बाद से एक भी विमान नहीं खरीदा है। उस समय उसने 111 विमान खरीदने का आर्डर दिया था। 68 विमान अमेरिका स्थित विमान निर्माता बोइंग से खरीदे गए थे और 43 विमान यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी एयरबस से खरीदे गए थे।
एयर इंडिया की वेबसाइट के अनुसार इस समय कंपनी के पास 49 चौड़ी बाडी वाले विमान (18 बोइंग बी777, चार बोइंग बी747 और 27 बोइंग बी787) हैं। जबकि नैरो बाडी वाले विमानों की संख्या 79 है। पिछले साल आठ अक्टूबर को एयरलाइन का सफलतापूर्वक अधिग्रहण करने के बाद टाटा समूह ने 27 जनवरी को एयर इंडिया का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
विमानन कंपनियों का घाटा कम होकर 9.7 अरब डालर रह जाने की उम्मीद
वैश्विक विमान निकाय आइएटीए के महानिदेशक विली वाल्श ने सोमवार को कहा कि इस साल वैश्विक स्तर पर विमानन कंपनियों का घाटा कम होकर 9.7 अरब डालर रह जाएगा। वर्ष, 2021 में यह घाटा 52 अरब डालर था। इसके अलावा उन्होंने, 2023 में उद्योग जगत में मुनाफा बढ़ने की उम्मीद जताई है। अंतरराष्ट्रीय विमान परिवहन संघ (आइएटीए) करीब 290 विमानन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक हवाई यातायात का 83 प्रतिशत है।
वाल्श ने यहां आइएटीए की 78वीं वार्षिक आम बैठक में कहा कि वैश्विक स्तर पर एयरलाइनों के लिए दृष्टिकोण सकारात्मक है, लेकिन कारोबारी माहौल चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। उन्होंने कहा कि 650 अरब डालर के कर्ज से दबी एयरलाइनों की वित्तीय स्थिति को ठीक करना एक बड़ी चुनौती होगी।
उन्होंने यह भी कहा, ‘इन सभी चुनौतियों के बीच लोगों की यात्रा करने क इच्छा और माल ले जाने की आवश्यकता दोनों काफी प्रबल हैं। हमारा नवीनतम विश्लेषण 2021 में 42 अरब डालर के नुकसान को दिखाता है, जो काफी अधिक है, लेकिन पहले के अनुमान 52 अरब डालर से नीचे है।’ उनका मानना है कि इस साल वैश्विक नुकसान 9.7 अरब डालर तक कम हो जाएगा।