सिरसा।(सतीश बंसल) संस्कृत भाषा ही सभी भाषाओं की जननी है। या यूं कहें की संस्कृत में ही सभी भाषाओं का मूल है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। संस्कृत भारतीय संस्कृति की पहचान कराती है। इस भाषा को सभी राज्यों के सभी संस्थानों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उक्त बातें सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के अध्यक्ष सुरेंद्र बांसल, सनातन धर्म सभा (मंदिर) के सचिव बजरंग पारीक तथा महाविद्यालय के प्राचार्य गणेश शंकर के नेतृत्व में सत्र 2023-24 शास्त्री में दाखिले के लिए नोहर तहसील के गांवों फेफाना, जसाना, रतनपुरा, मलवानी सहित दर्जनों गांवों के स्कूलों में जनसंपर्क अभियान के दौरान कही। (Sanskrit)
अध्यक्ष सुरेंद्र बांसल ने बताया कि संस्कृत महाविद्यालय में 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है। बांसल ने बताया कि यहां दूर-दराज के गांवों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो। उन्होंने बताया कि जिन विद्यार्थियों के पास 12वीं कक्षा में संस्कृत विषय नहीं है, वे विद्यार्थी भी शास्त्री की शिक्षा प्राप्त कर सकते है। प्रिंसीपल गणेश शंकर ने बताया कि हर बार महाविद्यालय का परिणाम स्नातक (B.A) शत प्रतिशत रहता है। इसके अलावा जो विद्यार्थी 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करता है, उसे हरियाणा संस्कृत अकादमी तथा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान द्वारा 12 हजार रुपए की छात्रवृत्त्ति भी प्रदान की जाती है। प्राचार्य ने बताया कि जनसंपर्क अभियान के दौरान सभी विद्यालयों से अच्छा आश्वासन मिला है। (Sanskrit)
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