वित्त मंत्री हरपाल चीमा द्वारा बार-बार राज्य की अफसरशाही को आदेश देने के बावजूद भी कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान न होने के विरोध में दफ्तर कर्मचारियों ने 13 फरवरी को शिक्षा भवन का घेराव कर मुख्यमंत्री निवास, चंडीगढ़ की ओर कूच करने की घोषणा कर दी है। वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने 14 मार्च 2024, 06 नवंबर 2024, 09 दिसंबर 2024 और 26 दिसंबर 2024 को हुई बैठकों में मांगों के तुरंत समाधान के आदेश दिए थे, लेकिन आज तक समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
यूनियन नेताओं ने कहा कि एक तरफ पंजाब सरकार कर्मचारियों के साथ बैठकें कर उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ अफसरशाही कर्मचारियों का शोषण करने पर उतारू है। कर्मचारियों की 14 जनवरी को विभाग के साथ हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि हड़ताल के दौरान लंबित पड़ा सारा काम पूरा करने की स्थिति में विभाग कर्मचारियों के वेतन जारी कर देगा। कर्मचारियों ने दिन-रात मेहनत करके अपना सारा लंबित कार्य पूरा कर दिया है और इस संबंध में संगठन द्वारा डीजीएसई और शिक्षा सचिव से कई बार मिलकर दिसंबर और जनवरी महीने के वेतन के फंड जारी करने की अपील भी की जा चुकी है। लेकिन अब तक वेतन के फंड जारी नहीं किए गए हैं, उल्टा मुख्य कार्यालय द्वारा जिलों को हड़ताल के दिनों का वेतन काटकर मांग भेजने का तानाशाही फरमान जारी किया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों में रोष बढ़ गया है और वे दोबारा संघर्ष के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर हो गए हैं।
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नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा 21 अप्रैल 2022 और कैबिनेट सब-कमेटी द्वारा 14 मार्च 2024 को दफ्तर कर्मचारियों को नियमित करने की सहमति दी गई थी और 14 मार्च की बैठक में वित्त मंत्री के आदेश अनुसार संगठन द्वारा डीजीएसई को हलफनामा भी दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी कर्मचारियों को नियमित नहीं किया गया। बैठक के दौरान वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने अधिकारियों और संबंधित वित्त विभाग, कार्मिक विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बनाई गई अफसर कमेटी को दफ्तर कर्मचारियों और विशेष शिक्षकों को 8886 शिक्षकों की तर्ज पर नियमित करने के लिए तुरंत अफसर कमेटी की बैठक कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। साथ ही, मिड-डे मील दफ्तर कर्मचारियों के वेतन वृद्धि की फाइल पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश वित्त सचिव को दिए थे, लेकिन फाइल अभी भी वित्त विभाग में ही अटकी हुई है।
नेताओं ने कहा कि पटियाला प्रशासन द्वारा 26 जनवरी को मुख्यमंत्री के गणतंत्र दिवस समारोह से पहले संगठन की बैठक 6 फरवरी को कैबिनेट सब-कमेटी के साथ करवाने का लिखित पत्र दिया गया था, लेकिन 6 फरवरी को कैबिनेट सब-कमेटी की कोई बैठक नहीं हुई, जिससे कर्मचारियों में गुस्सा है।
प्रेस बयान जारी करते हुए सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan) मिड-डे मील दफ्तर कर्मचारी यूनियन के नेता जगमोहन सिंह, रमन कुमार, मैडम निशा, संदीप कुमार और मैडम मीनाक्षी रानी ने घोषणा की कि सरकार तो कर्मचारियों की मांगों को लेकर गंभीर है, लेकिन अधिकारी जानबूझकर कर्मचारियों को परेशान कर रहे हैं। नेताओं ने कहा कि सरकार का एजेंडा था कि राज्य में कोई भी कर्मचारी कच्चा न रहे, लेकिन 3 साल बीत चुके है और अधिकारी समस्याओं को हल करने के बजाय उलझा रहे हैं।
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अब तक अफसर कमेटी की कई बैठकों के बावजूद कर्मचारियों को नियमित करने संबंधी रिपोर्ट कैबिनेट सब-कमेटी को नहीं सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि अगर 11 फरवरी को होने वाली अफसर कमेटी की बैठक में कर्मचारियों को नियमित करने के संबंध में कोई ठोस फैसला नहीं लिया जाता और कर्मचारियों की सैलरी फंड जारी नहीं किए जाते, तो सरकार की टालमटोल नीति के खिलाफ कर्मचारी 13 फरवरी को शिक्षा भवन, मोहाली के बाहर एकत्र होकर चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री निवास की ओर कूच करेंगे