मणिपुर में पिछले दो महीने से चल रही हिंसा थमने का नाम ही ले रही. (Supreme Court Statement) बल्कि, बढ़ती जा रही हैं. हिंसा मणिपुर के इंफाल पश्चिम और कांगपोकपी जिलों के दो गांवों में सोमवार को हिंसक झड़पें हुईं जिसमें एक नागरिक की मौत और दो अन्य घायल हो गए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (10 जुलाई) को कहा कि मणिपुर में हिंसा बढ़ाने के मंच के रूप में शीर्ष अदालत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। साथ ही संघर्ष कर रहे जातीय समूहों से अदालती कार्यवाही के दौरान संयम बरतने को कहा।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह हिंसा खत्म करने के लिए राज्य की कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकता है। कहा कि जातीय संघर्ष और हिंसा का अंत करना केंद्र और मणिपुर सरकार की जिम्मेदारी है। यह एक मानवीय मुद्दा है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘मणिपुर ट्राइबल फोरम’ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस से कहा, हम इस मामले में सुनवाई नहीं करना चाहते।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मणिपुर शासन को फटकार
राज्य में हिंसा और अन्य समस्याएं बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का उपयोग एक मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता। पीठ ने मणिपुर के मुख्य सचिव द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद गोंजाल्विस, अन्य संगठनों की ओर से पेश वकीलों और मणिपुर हाई कोर्ट के (Supreme Court Statement) बार एसोसिएशन से मंगलवार तक हिंसा खत्म करने के लिए सकारात्मक सुझाव देने को कहा। पीठ ने कहा, हमें स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कुछ सकारात्मक सुझाव दीजिए और हम केंद्र तथा मणिपुर सरकार से इस पर गौर करने के लिए कहेंगे।
शीर्ष अदालत ने मणिपुर सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से जून में जारी एक परिपत्र पर निर्देश लेने को कहा,जिसमें उसने राज्य सरकार के कर्मचारियों को ड्यूटी पर उपस्थित होने या वेतन में कटौती का सामना करने के लिए कहा था| सुप्रीम कोर्ट ने तीन जुलाई को मणिपुर सरकार को जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में पुनर्वास सुनिश्चित करने और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी वाली एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। राज्य में मैती और कुकी समुदायों के बीच झड़पों में अब तक कम से कम 150 लोगों की मौत हो चुकी है तथा सैकड़ों अन्य घायल हो गए हैं।
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इंटरनेट बहाली को लेकर मणिपुर सरकार की याचिका पर सुनवाई आज
इंटरनेट की सीमित बहाली को लेकर मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। (Supreme Court Statement) सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीघ्र सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि राज्य में परिस्थिति तेजी से बदल रही है। हालांकि, राज्य में जानी नुक्सान के साथ-साथ राज्य का नुक्सान भी काफी हद तक हुआ हैं जिससे देख सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस हिंसा को खत्म करना केंद्र और राज्य सरकार का काम हैं|