सिरसा।(सतीश बंसल) आशा वर्कर्स (Asha workers ) की हड़ताल लघु सचिवालय में अनवरत 18वें दिन जारी है। शुक्रवार को धरनारत आशा वर्कर्स ने उपायुक्त कार्यालय से लेकर बस स्टैंड तक रोष मार्च निकाला। आशा वर्कर्स ने चेतावनी भी दी कि रोष मार्च के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है तो उसके लिए प्रशासन व सरकार जिम्मेदार होंगे। धरने की अध्यक्षता करते हुए दर्शना व कलावती माखोसरानी ने बताया कि सरकार की ओर आशाओं का मानदेय 2018 के बाद से नहीं बढ़ाया गया है, जबकि उनका काम पांच गुना बढ़ा दिया गया है। वेतन न बढ़ाने व काम के अधिक बोझ के कारण आशाओं को दोहरी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
सरकार की इस बेरूखी के कारण आशाओं में बहुत ज्यादा रोष है। यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार बार-बार कहती है कि हड़ताल से आम जनता को कोई नुकसान नहीं हो रहा है, जबकि जब से आशा वर्कर हड़ताल पर आई हैं, उसके बाद होम डिलीवरी व शिशु मृत्यु और स्टील बर्थ की संख्या लगातार बढ़ रही है। जोकि चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा बार-बार की जा रही वायदा खिलाफी के विरोध में स्टेट कमेटी ने निर्णय लिया है कि 29 अगस्त तक आशाओं की हड़ताल जारी रहेगी। इसके अलावा 28 अगस्त को पंचकूला विधानसभा क्षेत्र का घेराव भी किया जाएगा। (Asha workers )
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अगर इसके बावजूद भी सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो आगे हड़ताल लंबी बढ़ाई जाएगी। इस दौरान जो भी जनहित में नुकसान होगा, उसके जिम्मेदार सरकार व अधिकारी होंगे। मंच का संचालन शिमला व सुलोचना ने किया। इस मौके पर उषा, परवीन, पिंकी, मीनाक्षी, गीता, सुमन, रेखा, रोशनी सहित जिलेभर की आशाओं ने रोष मार्च में भाग लिया। ये है कर्मचारियों की मुख्य मांगें: आशाओं को न्यूनतम वेतन 26000 दिया जाए। आशाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, आशाओं की रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष की जाए।