नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) ने गुरुवार को कालेज आफ वोकेशनल स्टडीज (College of Vocational Studies) के एक एसोसिएट प्रोफेसर मनमोहन सिंह भसीन (Manmohan Singh Bhasin) को निलंबित किया गया। एसोसिएट प्रोफेसर पर कई महिला शिक्षकों के साथ कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाया गया है। कालेज के संचालन निकाय ने बुधवार को एक बैठक में उनके निलंबन की सिफारिश के बाद यह फैसला लिया। मामले से जुड़े सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को बताया कि मनमोहन सिंह भसीन के निलंबन को डीयू के कुलपति योगेश सिंह (DU Vice-Chancellor Yogesh Singh) ने मंजूरी दी। हालांकि, पीटीआइ ने जब भसीन से संपर्क करते हुए इस मामले के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा कोई निलंबन पत्र नहीं मिला है। भसीन ने आगे कहा, ‘मुझे अभी तक कोई निलंबन पत्र नहीं मिला है, इसलिए मेरे पास इस मामले पर टिप्पणी करने के लिए कुछ भी नहीं है।’
कई महिलाओं ने भसीन पर लगाए यौन उत्पीड़न के आरोप
कालेज आफ वोकेशनल स्टडीज (CVS) के एक एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा कि भसीन के खिलाफ यौन उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं। एक प्रोफेसर ने नाम छुपाने की शर्त पर जानकारी दी कि एक रामजस कालेज सहित दो सीवीएस यानी तीन महिला शिक्षकों ने भसीन के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज किए जाने के बाद शासी निकाय (governing body) ने एक आंतरिक शिकायत समिति (Internal complaints committee) का गठन किया। प्रोफेसर ने आगे बताया कि भसीन शिकायत समिति की जांच में हस्तक्षेप कर रहे थे और उन्होंने शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके बाद शासी निकाय ने उन्हें निलंबित करने का फैसला किया।
भसीन को प्रशासनिक अधिकारी के पद पर बैठने से वंचित किया गया
25 जून को सीवीएस के शासी निकाय ने भसीन की निंदा करते हुए उन्हें अगले आदेश तक कालेज में किसी भी प्रशासनिक पद पर बने रहने से रोक दिया है। कालेज द्वारा जो नोटिस जारी की गई उसके अनुसार, भसीन का स्पष्टीकरण असंतोषजनक पाया गया है, उनके द्वारा किए गए कदाचार स्थापित हो गए हैं। कालेज के शासी निकाय द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार मनमोहन सिंह भसीन पर मामूली जुर्माना लगाया जाता है। उन्हें अगले आदेश तक किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के पद पर बैठने से वंचित किया जाता है। नोटिस में आगे जानकारी दी गई है कि मनमोहन सिंह भसीन को भविष्य में ऐसी गतिविधियों से खुद को दूर रखने और अपने आचरण में शिक्षकों की व्यावसायिक आचार संहिता का पालन करने की सलाह दी जाती है।