नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ(BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह अपने पद पर बने रहेंगे या नहीं इसको लेकर बोर्ड कोर्ट पहुंचा है। दरअसल बीसीसीआइ(BCCI) के संविधान में कूलिंग आफ का एक प्रावधान है जिसमें बोर्ड के किसी भी पद पर कोई अधिकारी ज्यादा से ज्यादा 6 साल तक ही बना रह सकता है। बोर्ड ने पिछले चुनाव के बाद एक दिसंबर 2019 में अपनी एजीएम में सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना ही संविधान संशोधन किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह बीसीसीआइ(BCCI) के संविधान में संशोधन की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उसकी याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। यह संशोधन बीसीसीआइ के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के कार्यकाल से संबंधित है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ को बीसीसीआइ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने बताया कि उनकी अर्जी दो साल पहले दायर की गई थी और कोर्ट ने विषय की सुनवाई दो सप्ताह बाद करने के लिए निर्देश जारी किया था।
पटवालिया ने कहा, ‘लेकिन फिर कोविड-19 आया गया और मामला सूचीबद्ध नहीं हो सका। कृपया इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें क्योंकि (बीसीसीआइ के) संविधान में संशोधन दो साल से लंबित है।’
पटवालिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक अदालत से पूर्व अनुमति लेने के बाद ही इसके संविधान में संशोधन किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। पूर्व में, न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति ने बीसीसीआइ में सुधारों का सुझाव दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।