सिरसा। (सतीश बंसल) आषाढ़ मास की शनैश्चरी अमावस्या (17 जून) के पावन अवसर (Bhoomi Pujan) पर सिरसा के ऐतिहासिक प्राचीन शनिदेव मंदिर में मुख्य प्रवेश द्वार का भूमि पूजन कार्यक्रम किया जाएगा। शनिदेव मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य जोरों शोरों से चल रहा है। दूसरे चरण में मंदिर में सत्संग हाल का लैंटर लग चुका है। यह जानकारी देते हुए शनिदेव मंदिर चेरीटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारी आनंद भार्गव व चंद्रमोहन भृगुवंशी ने बताया कि सिरसा वासियों के सहयोग से सिरसा के ऐतिहासिक मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया जा रहा है।
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इसी कड़ी में अब निर्माण कार्य के तीसरे चरण में मंदिर के मुख्य द्वार का भूमि पूजन किया जाएगा। इस भाग में मंदिर कार्यालय, पूजा पाठ के लिए ग्रीन जोन, श्रद्धालुओं के लिए शौचालय व जूताघर का निर्माण कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शनैश्चरी अमावस्या के पावन अवसर पर 17 जून को प्रात: नौ बजे भूमि पूजन होगा। भगवान शनिदेव से मंदिर के निर्माण कार्य को अतिशीघ्र पूरा करवाने व संपूर्ण विश्व की मंगलकामना की जाएगी। आषाढ़ मास की शनैश्चरी अमावस्या श्राद्ध् पक्ष की अमावस्या भी कहलाती है।
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शनैश्चरी अमावस्या का शनि पूजा में विशेष महत्व है। शनिदशा व महादशा से पीड़ित लोग शनैश्चरी अमावस्या के दिन भगवान शनिदेव की पूजा व दान इत्यादि करें तो उत्तम फल की प्राप्ति होती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। शनिदेव की कृपा दृष्टि बनी रहती है। (Bhoomi Pujan) ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 17 जून 2023 से शनि वक्री हो रहे हैं। 30 साल बाद शनि अपनी राशि कुंभ में हैं और अब उल्टी चाल चलेंगे। इससे मूल त्रिकोण राजयोग बनेगा। शनि का वक्री होना मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह और मकर राशि वालों के लिए लाभकारी होगा।