नई दिल्ली। Education Loan में हो रहे डिफॉल्ट ने देश के बैंकों की चिंता को बढ़ा दिया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बैंकों के एजुकेशन लोन पोर्टफोलियो का 8 फीसदी एनपीए हो गया है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल – जून) के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, एजुकेशन लोन कैटेगरी का एनपीए बढ़कर 7.82 प्रतिशत हो गया है। जो कि कुल 80,000 करोड़ रुपये के करीब है। इस पर एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने कहा कि अधिक एनपीए के कारण ब्रांच स्तर पर एजुकेशन लोन(Education Loan) की स्वीकृति को लेकर सख्त रुख अपनाया गया है। इसके कारण लोन लेने के लिए आवेदन करने वाले सही उम्मीदवारों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
वित्त मंत्रालय ने बुलाई थी बैठक
हाल ही में एजुकेशन लोन में आ रही समस्या और देरी को लेकर वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें बैंकों से देरी कम करने को कहा गया था। इसके साथ ही बैंकों से केंद्रीय शिक्षा ऋण ब्याज सब्सिडी योजना (CSIS) के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी कहा था।
सरकारी बैंक देते हैं 90 प्रतिशत एजुकेशन लोन
आरबीआई की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 तक देश में 90 प्रतिशत एजुकेशन लोन(Education Loan) सरकारी बैंकों की ओर से दिया गया था। वहीं, निजी बैंक 7 प्रतिशत और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) 3 प्रतिशत एजुकेशन लोन देते हैं।
आरबीआई की ट्रेंड और प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया 2020-21 की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में मार्च 2020 तक 79,056 करोड़ रुपये, मार्च 2021 तक 78,823 करोड़ रुपये का एजुकेशन लोन(Education Loan) बकाया था। वहीं, यह 25 मार्च, 2022 तक बढ़कर 82,723 करोड़ रुपये हो गया है।