बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट बेंगलुरु के नागरिक प्राधिकरणों से नाराज होकर पूछा है कि क्या विभिन्न सड़कों पर उनका काम पूरा कराने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जल्दी-जल्दी शहर का दौरा करना पड़ेगा? हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी कोर्ट की अवमानना के एक मामले में सिविक एजेंसियों की कार्यशैली पर व्यंग करते हुए की है।
दरअसल, हाई कोर्ट ने नगर निकाय ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीडीए), बेंगलुरु जलापूर्ति और सीवरेज बोर्ड के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले पर सुनवाई की। साथ ही उस रिपोर्ट का जिक्र किया कि हाल के प्रधानमंत्री के दौरे के पहले बेंगलुरु में 23 करोड़ रुपये सड़कों की मरम्मत के लिए खर्च किए गए हैं। हाई कोर्ट ने इसी रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि सड़कों की हालत तभी सुधरेगी जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अक्सर बेंगलुरु आएंगे। पिछले हफ्ते आपने सड़कों के गढ्डे भरने के लिए 23 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। तो क्या आपके दायित्वों का निर्वाह कराने के लिए प्रधानमंत्री को हर बार बेंगलुरु की अलग-अलग सड़कों पर यात्रा करनी पड़ेगी?
बीडीए और बीडब्ल्यूएसएसबी कोर्ट के आदेशों का पालन करने में रहे विफल
जस्टिस बी.वीरप्पा और जस्टिस केएस हेमालेखा की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि अवमानना की याचिका ही मई, 2021 से लंबित है। लेकिन बीडीए और बीडब्ल्यूएसएसबी अब भी कोर्ट के आदेशों का पालन करने में विफल रहे हैं।
बीडीए के इंजीनियरों और प्राधिकरण के अफसरों के खिलाफ हुई शिकायत
उल्लेखनीय है कि 21 अक्टूबर, 2020 को हाई कोर्ट की एकल पीठ ने शहर की सिविक एजेंसियों को दो स्थानों पर दो माह के अंदर सभी कार्यो का निष्पादन करने का निर्देश दिया था। लेकिन एक साल बाद दो महिलाओं ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका के साथ आयुक्त और बीडीए के इंजीनियरों और प्राधिकरण के अफसरों के खिलाफ शिकायत कर कहा कि इन लोगों ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है।