मुंबई। महाराष्ट्र की मुंब्रा पुलिस ने निलंबित भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा को 22 जून को उनके विवादास्पद धार्मिक टिप्पणी पर बयान दर्ज करने के लिए तलब किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि नुपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मुंब्रा पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसलिए उन्हें मुंब्रा पुलिस ने 22 जून को जांच अधिकारी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है।
नुपुर शर्मा को मिल रही जान से मारने की धमकी
बता दें, नुपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही हैं, जिसे लेकर उन्होंने दिल्ली पुलिस में शिकायत कर एफआइआर दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पिछले हफ्ते नुपुर शर्मा ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को ईमेल के जरिए शिकायत की थी कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। सीपी ने स्पेशल सेल के साइबर क्राइम यूनिट को मेल भेजकर केस दर्ज कर जांच करने को कहा था। जिसके बाद साइबर सेल ने केस दर्ज कर लिया था। दिल्ली पुलिस ने नुपुर शर्मा की सुरक्षा भी बढ़ा दी है।
भाजयुमो का प्रमुख चेहरा रहीं हैं नुपुर शर्मा
बता दें, नुपूर शर्मा तेज तर्रार महिला नेता रही हैं। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया गया था। वह मीडिया में पार्टी से जुड़े मुद्दों को मजबूती के साथ रखती थीं। लेकिन इन दिनों उनका राजनीतिक भविष्य संकट में घिर गया है। पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया है। कुछ दिनों पहले एक निजी टीवी चैनल पर बहस के दौरान नुपुर ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इससे संबंधित वीडियो वायरल होने पर वह विवादों में आ गईं। विवाद बढ़ने पर सोमवार को पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया।
दिल्ली छात्रसंघ की रह चुकी हैं अध्यक्ष
नूपुर का जन्म 23 अप्रैल 1985 को दिल्ली में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल से हुई थी। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज से एलएलबी और लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स (लंदन) से एलएलएम किया है। राजनीति में वह छात्र जीवन से ही सक्रिय रही हैं। उन्हें 2008 में दिल्ली छात्र संघ का अध्यक्ष बनने पर असली पहचान मिली। उन्होंने एनएसयूआइ के वर्चस्व को तोड़ा था।