नई दिल्ली:- भारत सरकार ने पूर्व सैनिकों के लिया बड़ा फैसला लिया है, केंद्र सरकार के इस फैसले का असर उन पूर्व सैनिकों पर ही पड़ेगा, जिनको उनकी सेवा के बाद रिटायरमेंट मिली है। जिन पूर्व सैनिकों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है, उन्हें इस विस्तार में कोई लाभ नहीं मिलेगा। पहले OROP का फायदा 1 अप्रैल 2014 से पहले रिटायर हुए सैनिकों को मिलता था। अब 1 जुलाई, 2014 के बाद रिटायर हुए पूर्व सैनिकों को फायदा मिलेगा।
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केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार शाम एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों पर जानकारी दी। इस दौरान ठाकुर ने कहा, “1 जुलाई, 2014 के बाद सेवानिवृत्त हुए सुरक्षा कर्मियों को मिलाकर OROP के लाभार्थियों की संख्या 25,13,002 पर पहुंच गई है। 1 अप्रैल 2014 से पहले यह संख्या 20,60,220 थी। इससे सरकार पर अतिरिक्त भार 8,450 करोड़ रुपए का पड़ेगा।” हालांकि केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह सुविधा केवल उन सैनिकों को मिलेगी, जिनको सेवा पूरी करने के बाद रिटायर किया गया है। अनुराग ठाकुर ने कहा, “जिन रक्षा कार्मिकों ने 1.7.2014 के बाद अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त लिया है उन्हें यह लाभ नहीं मिलेगा।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए ट्विटर पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 01 जुलाई, 2019 से वन रैंक वन पेंशन के तहत सशस्त्र बल पेंशनरों/पारिवारिक पेंशनरों की पेंशन में संशोधन को मंजूरी दी। इस फैसले से 25.13 लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित होंगे। इस देश के भूतपूर्व सैनिकों को दिए गए वादे को पूरा करने के लिए मैं प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करता हूं।
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क्या है ‘वन रैंक वन पेंशन’?
वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत सरकार की ओर से सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त कर्मियों को एकसमान रैंक और एकसमान टाइम के लिए सर्विस करने वाले कर्मियों को एक समान पेंशन दिया जाता है। इसके लिए उनके रिटायरमेंट की तिथि कुछ भी हो सकती है। इससे पहले पेंशन रिटायरमेंट डेट के अनुसार दी जाती थी। इस योजना को लागू कराने के लिए पूर्व सैनिकों ने 30 साल की लंबी लड़ाई थी। आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार ने One Rank One Pension 7 नवंबर 2015 को जारी किया था और उसे 1 जुलाई 2014 से प्रभावी करते हुए लागू कर दिया था।