Competitions Organized In Government College Kalka: पंचकूला दिसंबर 2: राजकीय महाविद्यालय कालका की प्राचार्या कामना के मार्गदर्शन और दिशा निर्देशन में गीता अभिप्रेरणा सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। महाविद्यालय में विद्यार्थियों को श्रीमद्भागवत गीता का महत्व बताया गया। वरिष्ठ प्रोफेसर सुशील कुमार ने श्रीमद्भागवत गीता का महत्व बताते हुए कहा की श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश महान तथा अलौकिक है। श्री सुशील कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता का आश्रय लेकर पाठ करने मात्र से बड़े विचित्र अलौकिक और शांति दायक भाव स्फूरित होते हैं ।इसका मन लगाकर पाठ करने मात्र से बड़ी शांति मिलती है | प्रोफेसर प्रदीप कुमार वैदिक रिसर्चर ने श्रीमद्भगवद्गीता का परिचय देते हुए कहा कि श्रीमद भगवत गीता का महत्व संपूर्ण मानव लोक के लिए प्रासंगिक है ।श्रीमद्भगवद्गीता ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें सृष्टि के संपूर्ण आध्यात्मिक पक्षों का समावेश किया गया है।
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वेदों और उपनिषदों से लेकर शंकराचार्य तक के सभी मतों व मान्यताओं का सार इसमें समाहित है। इसमें संग्रहित 700 श्लोक सप्त महाद्वीप के समान गंभीर हैं ।जिनको पूर्ण रूप से समझ लेने पर भारतीय चिंतन का समस्त सार ज्ञात हो सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता की महिमा अगाध और असीम है । भगवत गीता में शलोक होते हुए भी भगवान की वाणी होने से यह मंत्र ही हैं। इन शलोकों में बहुत गहरा अर्थ भरा हुआ होने से इनको सूत्र भी कहते हैं । प्रस्तुत कार्यक्रम सेलिब्रेशन ऑफ डेस कमेटी की प्रभारी प्रोफेसर नीना शर्मा, हिंदी विभाग अध्यक्षा प्रोफेसर डॉक्टर बिंदु और अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर गीतांजलि के कुशल नेतृत्व में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। प्रोफेसर नीना शर्मा ने विद्यार्थियों को बताया कि गीता में संपूर्ण वेदों का सार निहित है । गीता की महता को शब्दों में वर्णन करना असंभव है । यह स्वयं भगवान कृष्ण के मुखारविंद से निकली है। भगवान कृष्ण इसका महत्व बताते हुए कहते हैं कि जो पुरुष प्रेम पूर्वक निष्काम भाव से भक्तों को पढ़ेगा अर्थात इसका प्रचार करेगा तो निश्चय ही उसको परमात्मा प्राप्त होगा ।
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प्रोफेसर डॉक्टर बिंदु ने कहा कि कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मां कर्म फलहेतुभूमा ते सडगोअस्त्व करमणि अर्थात हमें अच्छे कर्म करने चाहिए । फल की चिंता नहीं करनी चाहिए हमें फल की इच्छा किए बिना अपने कर्म सही ढंग से करने चाहिए । डॉक्टर गीतांजलि ने विद्यार्थियो को संबोधित करते हुए कहा कि नैनमछिद्रन्ति शस्त्राणि नैनम दहति पावक न चैनं कलेदयन्तयापो न शोषयति मारुत अर्थात आत्मा को ना शस्त्र काट सकते हैं ना आग उसे जला सकती है ना पानी उसे भिगो सकता है ना हवा उसे सुखा सकती है। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने बांसुरी वादन करते हुए श्री कृष्ण की रंगोली भी बनाई। डॉ प्रदीप वैदिक रिसर्चर ने गीता पाठ किया और विद्यार्थियों ने शुद्ध श्लोक उच्चारण प्रतियोगिता में भाग लिया । जिसमें प्रथम स्थान पर बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा नेहा और प्रीति रही। द्वितीय स्थान बीए प्रथम वर्ष की अंकिता और बेबी ने प्राप्त किया। तृतीय स्थान पर बीए प्रथम वर्ष की छात्रा सपना और पलक रही। प्रस्तुत कार्यक्रम संस्कृत भारती के अंतर्गत संपन्न हुआ। (Competitions Organized In Government College Kalka)