सिरसा। (सतीश बंसल) जिला के किसानों की मांगों व समस्याओं के लिए बीती 16 जनवरी से भारतीय किसान एकता बीकेई के बैनर तले उपायुक्त कार्यालय के समक्ष लगा पक्का मोर्चा 40वें दिन भी जारी है, वहीं बीते दिवस से आमरण्-अनशन पर बैठे ओमप्रकाश झुरिया दूसरे दिन भी अनशन पर रहे। शुक्रवार को किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिला और बातचीत की। उपायुक्त ने कहा इस बारे में चंडीगढ़ में बातचीत चल रही है। उपायुक्त ने आमरण-अनशन खत्म करने को कहा, जिसपर किसानों ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे यहां से टस से मस नहीं होंगे। (Farmers Delegation)
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प्रतिनिधिमंडल में प्रकाश सिंह ममेरां, महावीर गुडियाखेड़ा, सुभाष खारिया, भरत सिंह गोदारा रोहिड़ांवाली, मनोहरलाल डिंग मंडी, सतबीर झोरड़ बचेर, नत्था सिंह झोरडऱोही, मान सिंह जलालआना, कृष्ण सिंह धोतड़, विनोद जांदू माधोसिंघाना, लखविंद्र सिंह औलख, बापू कश्मीर सिंह, इकबाल सिंह वैदवाला व अमरीक सिंह बाजवा शामिल रहे। आमरण-अनशन पर बैठे ओमप्रकाश झुरिया ने प्रण किया है कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे यहां से नहीं उठेंगे, भले ही उनकी जान क्यों न चली जाए। बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने कहा कि किसानों की मुख्य मांग खरीफ -2020 में सफेद मक्खी से बर्बाद हुई कपास की फसल का बकाया मुआवजा 258 करोड़ रुपए है, जिसमें से हरियाणा सरकार ने कुल 64 करोड़ 91 लाख रुपए ही जारी किया है।
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BKE अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने मुआवजे को लेकर किसान जिला प्रशासन और कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल से मीटिंग भी कर चुके, लेकिन अभी तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बार-बार बातचीत के बाद भी सरकार व प्रशासनिक अधिकारी किसानों को आंदोलन के लिए उकसा रहे है। आश्वासनों से शासन व प्रशासन की हकीकत भी खुलकर सामने आ गई। सरकार सिर्फ और सिर्फ किसानों को बरगलाने में लगी हुई है, जबकि उसका किसान हितैषी चेहरा बीते दिवस पेश किए गए बजट में और भी साफ हो गया है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अनशन के दौरान उनके साथी किसान के साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो उसकी जिम्मेवार हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन होंगे। रिटायर कर्मचारी संघ ने भी किसानों के धरने को समर्थन दिया। (Farmers Delegation)