नई दिल्ली। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2023 में रियल जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले एजेंसी ने 7.8 प्रतिशत वृद्धि रहने का अनुमान जताया था। एजेंसी का कहना है कि तेल की ऊंची कीमतें, निर्यात की मांग में कमी और ज्यादा महंगाई के कारण जीडीपी वृद्धि दर में कमी रहेगी।
आरबीआइ ने भी चालू वित्त वर्ष रियल जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। क्रिसिल का कहना है कि गहन-संपर्क सेवाओं और सामान्य मानसून के पूर्वानुमान से ही चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर बढ़ने का संकेत मिल रहा है। एजेंसी का कहना है कि वित्त वर्ष 22-23 में औसत महंगाई दर बढ़कर 6.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इससे खरीदारी में कमी आई है और खपत में सुधार का संकट पैदा हो गया है।
मई के आखिरी में 12.3 प्रतिशत पर पहुंचा राजकोषीय घाटा
आपको बता दें कि अधिक खर्च के चलते राजकोषीय घाटा मई के आखिरी में वित्त वर्ष 2022-23 के सालाना बजट लक्ष्य 12.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है। राजकोषीय घाटा सरकार के खर्च और रेवेन्यू के बीच का अंतर है। इससे सरकार को कितने कर्ज की जरूरत है, इसका संकेत मिलता है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा समान अवधि में संशोधित बजट अनुमान के 8.2 प्रतिशत पर था।
राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान
कंट्रोलर जनरल आफ अकाउंट्स (कैग) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मई के आखिरी तक 2,03,921 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा हुआ। चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में इसके 6.71 प्रतिशत रहने का अनुमान था।
बताते चलें कि उच्च दर महंगाई से पूरी दुनिया परेशान हो चुकी है। कोविड-19 महामारी और रुस-यूक्रेन युद्ध का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पड़ता नजर आ रहा है। पाकिस्तान और श्रीलंका आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। महंगाई ने अमेरिका जैसे विकसित देशों की हालत भी खस्ता कर रखी है।