फ्रैंकफर्ट: कच्चे तेल के उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस ने उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रतिदिन कटौती का फैसला किया है। अमेरिकी दबाव के बावजूद ओपेक प्लस ने उत्पादन में 2020 के बाद की सबसे बड़ी कटौती का फैसला किया है। इस कदम को पहले से संघर्ष कर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक और झटका माना जा रहा है। कोरोना महामारी के बाद पहली बार वियना मुख्यालय में आयोजित ओपेक देशों के ऊर्जा मंत्रियों की आमने की बैठक नवंबर से उत्पादन में कटौती का फैसला किया गया। (Crude Oil Prices)
कच्चे तेल की कीमतें घटी
बीते तीन महीनों में कच्चे तेल का मूल्य 120 डालर प्रति बैरल से घटकर 90 डालर प्रति बैरल पर आ गया है। ओपेक प्लस ने पिछले महीने उत्पादन में सांकेतिक कटौती की थी। हालांकि, महामारी के दौरान उत्पादन में बड़ी कटौती की गई थी लेकिन पिछले कुछ माह से निर्यातक देश उत्पादन में बड़ी कटौती से बच रहे थे। ओपेक प्लस ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक और कच्चे तेल के बाजार परि²श्य में अनिश्चितता को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। हालांकि, उत्पादन में कटौती से तेल के दाम और उससे बनने वाले पेट्रोल-डीजल की कीमत पर विशेष असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ओपेक प्लस के सदस्य पहले ही तय कोटा को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
तीन सप्ताह के उच्च स्तर कच्चा तेल
उत्पादन में कटौती के फैसले के बाद कच्चे तेल का मूल्य तीन सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गया। उधर, रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने कहा है कि यदि पश्चिमी देश मूल्य संबंधी सीमा तय करते हैं तो इसके प्रतिकूल असर से निपटने के लिए कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की जा सकती है। रूस ओपेक प्लस संगठन का सदस्य भी है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरीन जीन-पियरे ने कहा है कि तेल उत्पादन में कटौती के फैसले से स्पष्ट होता है कि ओपेक प्लस संगठन रूस के साथ गठजोड़ बढ़ा रहा है। यह एक गलत और गुमराह करने वाला फैसला है। (Crude Oil Prices)