नोएडा। तापमान बढ़ने के साथ पोस्टमार्टम हाउस की व्यवस्था की पोल खुलने लगी है। शव को सुरक्षित रखने के लिए लगे डीप फ्रीजर शोपीस बन गए हैं। ऐसे में डाक्टरों के लिए सड़े हुए शवों का पोस्टमार्टम करने से मौत की असली वजह मालूम कर पाना मुश्किल हो रहा है। सेक्टर-94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस में लगे चारों डीप फ्रीजर काम नहीं कर रहे हैं। भीषण गर्मी से शव जल्दी खराब होने लगते हैं, ऐसे में गंध के बीच काम करना पोस्टमार्टम हाउस में तैनात कर्मचारियों के लिए मजबूरी बन गया है। शव को सुरक्षित रखने के लिए स्वजन को दो से चार हजार रुपये खर्च करके बर्फ की सिल्ली व डीप फ्रीजर की व्यवस्था करनी पड़ती हैं।
लावारिश शवों पर मुंह मारते हैं कुत्ते: अक्सर पुलिस को मरने के दो से तीन दिन में लावारिस शव मिलता है। पोस्टमार्टम होने के बाद 72 घंटे तक शव को रखना पड़ता है, जिससे अगर कोई क्लेम करे तो उसको अंतिम संस्कार के लिए दिया जा सके, लेकिन डीप फ्रीजर खराब होने से शवों को खुले कमरे में रखा जाता है। गर्मी में कुछ ही घंटों में शव खराब होने लगते हैं। कुत्ते बदबू सूंघकर टूटे गेट से अंदर घुस आते हैं।
सीएमओ से भी की जा चुकी है शिकायत : पोस्टमार्टम करने वाले एक डाक्टर ने बताया कि प्रतिदिन औसतन पांच से छह शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी है। इसकी शिकायत एसीएमओ डा. अमित विक्रम व सीएमओ से भी कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सड़े हुए शव का पोस्टमार्टम करने से मौत का सटीक कारण नहीं पता चलता है। वहीं यहां तैनात कर्मचारियों का कहना है कि हाथ धोने के लिए साबुन तो दूर, मोमबत्ती और माचिस तक की व्यवस्था नहीं है। शौचालय की हालत भी बहुत खराब है।
कुर्सियां टूटी होने से बैठने की व्यवस्था नहीं : दूरदराज से आने वाले लोगों को पानी तक नसीब नहीं होता है। यहां बैठने तक का इंतजाम नहीं हैं। गेट के बाहर पड़ी कुर्सियां टूटी पड़ी हैं। स्वजन को धूप में ही खड़े रहकर इंतजार करना पड़ता है।
एक साल में चार बार लिखा पत्र पर कुछ नहीं हुआ: पोस्टमार्टम हाउस का जिम्मा संभालने वाले नोडल अधिकारी की ओर से नोएडा प्राधिकरण के जेई को चार बार पत्र लिखा जा चुका हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। स्थिति जस की तस है। वहीं सीएमओ डा. सुनील कुमार शर्मा का कहना है कि डीप फ्रीजर सही कराने के लिए दोबारा नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखा गया है।