Delhi High Court: के दिए आदेश से महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल गर्म हो सकता है। शिवसेना नाम या प्रतीक धनुष और तीर का उपयोग नहीं करने के इस आदेश को चुनौती देने वाले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की दायर याचिका को दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी है। शिवसेना नाम या प्रतीक धनुष और तीर का उपयोग नहीं करने के निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। हालांकि, न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने आयोग को मामले पर जल्द-से-जल्द अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
ये भी पड़े – दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदुषण कम होने का नाम नहीं ले रहा, प्रदूषण के छोटे कण सबसे घातक
उद्धव ठाकरे ने पार्टी के अध्यक्ष होने और 30 साल से पार्टी चलाने का दिया था हवाला:
बीते सोमवार को उद्धव ठाकरे ने दायर याचिका में कहा था कि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और पिछले 30 वर्षों से इस पार्टी को चला रहे हैं, लेकिन भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के दिए आदेश के कारण वह अपने पिता के नाम और चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। ईसीआइ के आदेश को अवैध बताते हुए ठाकरे की तरफ से पेश हुए ठाकरे ने कहा था कि इस आदेश के कारण पार्टी की राजनीतिक गतिविधियो में बाधा आ रही है |
आयोग नहीं कर सकता है चुनाव चिह्न को फ्रीज:
अधिवक्ता ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला बनने को लेकर संतुष्ट होने तक ईसीआइ चुनाव चिह्न को फ्रीज नहीं कर सकता। ईसीआइ के आठ अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर ठाकरे पक्ष ने न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष दलील दी थी। आठ अक्टूबर को ईसीआइ ने ठाकरे व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के दोनों धड़ों को आधिकारिक मान्यता पर अंतिम निर्णय आने तक शिवसेना नाम या प्रतीक धनुष और तीर का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया गया था। हाल ही में हुए अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के लिए दोनों पार्टी गुटों को अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे। जो सबने देखा था आपको बता दें कि महाराष्ट्र में भाजपा समर्थित शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे के बीच जबरदस्त पॉलिटिक्ल एक्शन चल रहा है।
ये भी पड़े – क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
उद्धव ठाकरे के सीएम रहते हुए शिंदे गुट ने पार्टी के समर्थक विधायक पार्टी को तोड़ कर मुंबई से बाहर चले गए और सरकार को गिराने का दावा किया। हालांकि उद्धव ने जनता के नाम संदेश देकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी तोड़ने का आरोप भाजपा सहित शिंदे पर लगाया। इसके बाद से ही शिवसेना पर दोनों गुट अपना- अपना दावा कर रही है। जिसकी लड़ाई अब कोर्ट में चल रही है, अब दोनों पार्टियों में से किसका दवा सही होगा इसका फैसला कोर्ट करेगा | (Delhi High Court)