चंडीगढ़! केंद्रीय वित्त मंत्री के ईडी विभागसे बहादुरगढ़ के लोगों ने ने (Nafe Singh) पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की संपत्ति की जांच कराने की मांग की है क्योंकि मामूली चौकीदार से बहुत कम समय में विधायक नफे सिंह राठी ने चोखा मालदार बनने का इतिहास रचा है जोकि आश्चर्यचकित करने वाला है इतने कम समय में कोई भी इतनी जल्दी इतनी संपत्ति का मालिक ईमानदारी से नहीं बन सकता है| पूर्व मंत्री चौधरी मांगेराम नंबरदार के बेटे सतीश नंबरदार व स्वर्गीय जगदीश लंबरदार के पुत्र के साहिल एवं गौरव ने जानकारी देते हुए बताया की नफे सिंह नगर पालिका का पार्षद बनने से पहले उनके पिता का प्राइवेट गनमैन था और उनके पिता ने नफे सिंह को नगर पालिका चुनाव में खड़ा करके पार्टी का प्रत्यक्ष बनाया और चुनाव मैं जीत दिलवाई जबकि इससे पहले नफे सिंह भारत क्लॉथ मिल एवं सुपर बाजार मार्केट में एक चौकीदार के पद पर कार्यरत थाl
उन्होंने बताया की वर्ष 1992 में इनकी राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई और यह पहली बार नगर पालिका बहादुरगढ़ के चेयरमैन बने इसके बाद वर्ष 1993 में इनके खिलाफ हत्या व हत्या के प्रयास का मामला बहादुरगढ़ में दर्ज हुआ और 1996 में जिला सत्र न्यायालय द्वारा नफे सिंह को कैद की सजा सुनाई गई इसके बाद 1996 में चुनाव लड़ कर विधायक बने और वर्ष 1999 में हरियाणा विकास पार्टी व भाजपा गठबंधन की सरकार को गिरा कर इनेलो की सरकार बनी और दोबारा चुनाव मैं इनेलो पार्टी की सरकार बनी जिसमें जिसमें नफे सिंह राठी को दोबारा विधायक चुना गया और इस बार विधायक को प्रदेश के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Nafe Singh) की विशेष कृपा के चलते बहादुरगढ़ की जनता के साथ मनमर्जी से लूटपाट और दादागिरी का नंगा नाच किया जिसमें जिसमें पूर्व विधायक नफे सिंह ने अपार धन-संपत्ति इकट्ठा की हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने विधायक नफे सिंह का एक बार की विधायक अवधी का कार्यकाल रद्द कर दिया था और इसी दौरान विधायक नफे सिंह को पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने हत्या के आरोप से बरी कर दिया था जबकि इनके परिवारिक सदस्यों की सजा को बरकरार रखा था बहादुरगढ़ के लोगों का आरोप है की बहादुरगढ़ में नफे सिंह का आतंक छाया रहा है|
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जिसके कारण मात्र 5 साल की अवधि में वह धन कुबेर बने जोकि मात्र 1 बीघा के जमीन के मालिक उनके स्वर्गीय पिता हुआ करते थे और आज वह नफे सिंह हजारों करोड़ की संपत्ति का मालिक बन बैठा है और दावा करता है कि वह सरकार को 200000 (दो लाख) रोज यानी प्रतिदिन का इनकम टैक्स अदा करता है पूर्व विधायक पर अनेकों मामले दर्ज हुए और उन सभी मामलों में दबाव डालकर लोगों से समझौता करवा दिया गया विधायक नफे सिंह इन समझौतों के लिए यूपी पुलिस वह बदमाशों का भी सहारा लेते थे| जिसके कारण शहर के लोग डर के समझौता कर लेते थे क्योंकि पुलिस प्रशासन व गुंडों से लोगों को प्रताड़ित करते थे जिसके कारण सभी मामलों में समझौता करने में कामयाब हो जाते थे वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में चौधरी देवी लाल ने नफे सिंह का बहादुरगढ़ विधान सभा क्षेत्र की टिकट का एलान किया और नफे सिंह के कार्यालय उनको अपनी पार्टी की टिकट देकर माननीय चौधरी साहब नफे सिंह के कार्यालय से कुछ ही दूरी पर उनकी पार्टी के पूर्व प्रत्याशी कैप्टन चेतराम के कार्यालय में पहुंचते हैंl
चौधरी देवी लाल व स्वर्गीय चौधरी बलवीर सिंह पर लोगों ने जबरदस्त हमला शुरू कर लाठी और डंडों से उनकी गाड़ी को चकनाचूर कर दिया l चौधरी देवी लाल का गनमैन डागर नाम का व्यक्ति उनको छोड़कर भाग गया और वहां मौके पर मौजूद एक पत्रकार ने चौधरी देवी लाल की जान अपनी जान दांव पर लगाते हुए चौधरी देवीलाल की रक्षा करते हुए उनको उनकी गाड़ी में बैठाया और (Nafe Singh) उनको रवाना किया उसके बाद चोधरी बलबीर सिंह की जान भी पत्रकार ने अपनी जान दांव लगा कर बचाई और उसको स्थानीय सेंचरी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया सहयोगी को भर्ती करवाने के बाद नफे सिंह के सहयोगी अस्पताल में पहुंचे जबकि यह घटनाक्रम लगभग 1 घंटे तक चला परंतु नफे सिंह व नफे सिंह का कोई भी आदमी इस लड़ाई में चौधरी देवी लाल व चौधरी बलबीर सिंह को बचाने के लिए नहीं पहुंचll देश के गरीबों व किसानों के मसीहा चौधरी देवी लाल के साथ हुए इस हादसे के लिए केवल पूर्व विधायक नफे सिंह जिम्मेदार है अन्यथा चौधरी साहब के साथ जीवन में कभी ऐसी दर्दनाक घटना घटी हो ऐसा हमने जीवन में कभी नहीं सुना और आज चौधरी देवी लाल का परिवार ऐसे व्यक्ति को प्रदेश पार्टी का अध्यक्ष बनाए हुए हैं इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है चौधरी देवी लाल के परिवार के लिए इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी पत्रकार प्रेम शर्मा कृष्ण गोपाल विद्यार्थी वह तेजपाल राठी है जिन्होंने पूरे घटनाक्रम को अपनी आंखों से देखा हैl
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पूर्व मंत्री मांगेराम नंबरदार के बेटे जगदीश नंबरदार ने आत्महत्या करने से पहले पूर्व विधायक नफे सिंह राठी वे उनके 6 सहयोगियों (सोनू, महेंद्र, अश्विनी थानेदार, रमेश पटवारी, श्याम पटवारी, राजू बंगाली) के खिलाफ एक ऑडियो जारी कर प्रदेश के मुख्यमंत्री वह गृहमंत्री से सुरक्षा की गुहार लगाई थी जिस पर बहादुरगढ़ पुलिस ने हत्या के लिए मजबूर करने की धाराओं के तहत विधायक नफे सिंह वह उनके सात सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया और इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया परंतु इस मामले में विधायक नफे सिंह व उनके कुछ सहयोगियों को अग्रिम जमानत मिल गईl (Nafe Singh) इस मामले की जांच को लेकर पूर्व मंत्री मांगेराम नंबरदार जी के बेटे सतीश नंबरदार व गौरव एवं साहिल ने आरोप लगाया है की एसआईटी व पुलिस ने निष्ठा व ईमानदारी के साथ काम नहीं किया और अब वह सरकार के समक्ष अपील करते हैं की पूर्व विधायक नफे सिंह की केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन विभाग ईडी से उनके संपत्ति की जांच कराएं और उनको उनके भाई की हत्या के लिए मजबूर करने वाले नफे सिंह उनके सहयोगियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें न्याय दिलवाया जाए l सतीश नंबरदार ने कहा है की वह इस मामले की सीबीआई से जांच करवाना चाहते हैं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाए सच्चाई सामने आए और पूर्व विधायक के सभी गुनाह लोगों के सामने आएl