नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को महंगाई पर चर्चा के दौरान राज्य सभा में कहा कि जीएसटी प्रणाली से परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ा नहीं है। उन्होंने उदाहरण के साथ बताया कि जीएसटी प्रणाली से पहले रोजमर्रा के कई आइटम पर वर्तमान दर के मुकाबले अधिक टैक्स देना पड़ता था। उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई से इनकार नहीं कर रही है, लेकिन विपक्ष किसी भी बात को कहने से पहले उसे जांच-परख ले। वित्त मंत्री ने कहा कि रिकवरी हो रही है और देश की बुनियाद मजबूत है। उन्होंने भारत की तुलना बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों से करने वाले विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथों लिया। क्योंकि आज बांग्लादेश और श्रीलंका अरबों डॉलर की आर्थिक मदद के लिए आईएमएफ से गुजारिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यूपीए के शासनकाल में आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में तीन अंकों में बढ़ोतरी हुई थी जबकि अब ऐसा नहीं है। सीतारमण ने कहा कि मैं भी एक गृहिणी हूं और हम यह सकते हैं कि जीएसटी से परिवार पर कोई भार नहीं पड़ा है। उन्होंने बताया कि जीएसटी प्रणाली से पहले टूथ पाउडर पर 17.3 फीसद टैक्स देना होता था जो अब 12 फीसद है। वैसे ही तेल पर पहले 29 फीसद, साबुन पर 23 फीसद, चीनी पर छह फीसद, मिठाई पर सात फीसद टैक्स देना पड़ता था।
अब तेल व साबुन पर 18 फीसद, चीनी और मिठाई पर पांच-पांच फीसद टैक्स देना पड़ता है। जीएसटी से पहले वाशिंग मशीन और टीवी पर 31.3 फीसद टैक्स लगता था जबकि अब सिर्फ 18 फीसद देना पड़ता है। लालटेन पर जीएसटी से पहले आठ फीसद टैक्स था जबकि अब पांच फीसद देना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि 28 फीसद जीएसटी वाले स्लैब में अभी सिर्फ 28 आइटम है जबकि जीएसटी प्रणाली के लागू होने के समय इस स्लैब में 229 आइटम थे जो यह जाहिर करता है कि सरकार धीरे-धीरे टैक्स के दायरे को कम कर रही है।
महंगाई पर चर्चा के दौरान विपक्ष की तरफ से कहा गया था कि आजादी के बाद से अनाज पर कभी टैक्स नहीं लगाया गया जबकि सच्चाई यह है कि जीएसटी प्रणाली के लागू होने से पहले कई राज्यों में अनाज, पनीर, दही जैसे आइटम पर टैक्स देना पड़ता था। वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए के शासन काल में वर्ष 2009-13 के बीच आलू की कीमतों में 164 फीसद, प्याज की कीमतों में 303 फीसद तो टमाटर के दाम में 160 फीसद का इजाफा हुआ। वर्तमान में सभी आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों के साथ बुवाई के रकबे की भी समीक्षा की जाती है।
उन्होंने(Nirmala Sitharaman) एक बार फिर से सदन को बताया कि प्री-पैकेज्ड फूड आइटम पर काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों की सहमति से पांच फीसद जीएसटी लगाया गया। सीतारमण ने सदन को यह भी बताया कि सरकार सिर्फ सेस की वसूली नहीं करती है बल्कि उससे अधिक राज्यों के बीच वितरित भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले नौ सालों में 3.77 लाख करोड़ रुपए सेस के रूप में वसूले गए जबकि इस अवधि में राज्यों को 3.93 लाख करोड़ रुपए दिए गए। उन्होंने बताया कि आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 से लेकर 2022 तक सरकार ने विकास के काम पर 19.9 लाख रुपए खर्च किए जबकि वर्ष 2004 से लेकर 2014 के बीच विकास के काम पर सिर्फ 14,2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए।