लखनऊ। नाका के मोतीनगर में स्थित अपना घर आश्रम प्रबंधन में पिटाई से 23 वर्षीय संवासिनी की मौत के मामले में घोर लापरवाही बरती गई। प्रबंधन और कर्मचारियों ने पूरा मामला दबाने की कोशिश की और संवेदनहीनता की सारे हदे पार कर दीं।
गंभीर रूप से घायल संवासिनी शनिवार सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक भीषण पीड़ा में तड़पती रही। प्रबंधन ने न तो पुलिस को इसकी सूचना दी और न ही जिला प्रशासन के अधिकारियों को। संवासिनी ने तड़प-तड़प कर आश्रम में ही दम तोड़ दिया। इसके बाद अधीक्षिका पिंकी चौरसिया और स्टाफ उपमा सिंह के साथ अन्य लोग उसे बलरामपुर अस्पताल लेकर पहुंचे थे।
यहां, डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फिर जब वजीरगंज पुलिस ने रविवार को शव का पोस्टमार्टम कराया तो रिपोर्ट में हत्या का राजफाश हुआ। संवासिनी की मौत का कारण हेड इंजरी आया और उसके शरीर पर चोटें मिलीं।
अधीक्षिका, स्टाफ और जांच अधिकारी की बयानों में विरोधाराभास, साजिश की आशंका : अधीक्षिका पिंकी कनौजिया का कहना है कि संवासिनियों में मारपीट हुई थी। इसके बाद संवासिनी कक्ष में चली गई। दोपहर खाना खाने के समय वह उठकर आयी। खाना खाया और फिर अपने कक्ष में चली गई। शाम को खाना खाने के लिए नहीं उठी थी। अधीक्षिका के मुताबिक संवासिनी के हाथ में कुछ चोटे थीं। दोपहर आश्रम में ही उसका इलाज किया गया था। हालत बिगड़ने पर उसे शाम अस्पताल ले जाया गया।
वहीं, नर्स उपमा सिंह का कहना है दोपहर संवासिनी खाना खाने के लिए नहीं आयी थी। उसने तबियत ठीक न होने का हवाला देकर खाने से मना कर दिया था। शाम चार बजे भी जब वह चाय के लिए नहीं आयी तो उसके पास जाकर देखा गया। उसके दांत आपस में जुड़ गए थे। बोल नहीं रही थी। इसकी जानकारी अधीक्षिका और संचालक बीएम भारद्वाज को दी गई थी। तीनों के बयानों में विरोधाभास है। जिसके कारण बड़ी साजिश की आशंका है।