भवन में दर्पण अर्थात आइना (Mirror) सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है | सही दिशा में लगा हुआ दर्पण जहाँ हमारी सुख समृद्धि को कई गुणा बढ़ा सकता है वही अशुभ दीवार पर लगा हुआ दर्पण मानसिक अशांति व्यापार में नुक़सान स्वास्थ्य की हानि दुर्घटना और पारिवारिक विघटन का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। कई जगहों पर मैने अशुभ दिशा में लगे हुए दर्पण की वजह से असाध्य रोग और लोगों को जेल तक जाते देखा है।
दर्पण मुख्य रूप से तीन प्रकार से काम करता है
विस्तार …. कमरे की जिस दीवार पर भी लगाया जाता है दर्पण में देखने पर उसमें एक कमरा और दिखायी देता है।
परावर्तन ….. जो भी शुभ अशुभ ऊर्जा दर्पण से टकराती है वह परिवर्तित होकर वापस लौट आती है।
प्लेसमेंट…. जो भी वस्तुएँ दर्पण के सामने रखी होती है वह दर्पण में भी नज़र आने की वजह से उनकी दिशा बदल जाती है।
ये भी पड़े-Adani Public School के छात्रों ने नेशनल लेवल कम्पटीशन में जीता प्रथम पुरस्कार
किस दिशा में लगायें दर्पण…..(Mirror)
आमतौर पर यह माना जाता है की भवन में दर्पण हमेशा उत्तर या पुर्व दिशा की दीवार पर ही लगाना चाहिए
दक्षिण व पश्चिम दिशा में दर्पण लगाना बहुत ही अशुभ होता है।
क्या है सच्चाई ….
किसी भवन के उत्तर, पुर्व या ईशान दिशा वाले कमरे में …अगर दर्पण को कमरे की उत्तर या पुर्व दिशा की दीवार पर लगाया जाये तो इससे भवन की (इन शुभ दिशाओं में विस्तार होने से) पोजिटिव ऊर्जा बढ़ जायेगी और हमें लाभ होगा।
परन्तु किसी घर के वायव्य कोण वाले कमरे में , कमरे की उत्तर दिशा में दर्पण लगा दिया जाये तो इससे पुरे घर की वायव्य दिशा में विस्तार हो जायेगा और शुभ की जगह अशुभ परिणाम देखने को मिलेगें। ( नीचे दिये गये चित्र में देखें )
इसी प्रकार किसी घर के अग्निकोण वाले कमरे की पुर्व दिशा वाली दीवार पर दर्पण (Mirror) लगा दिया जाये तो पुरे घर की आग्नेय दिशा बढ़ जायेगी और पुर्व दिशा में दर्पण लगाने के बावजूद भी नुक़सान होने लगेगा। (नीचे दिये गये चित्र में देखें )
दर्पण लगाने का सबसे बड़ा फ़ायदा ये भी है की जो भी शुभ ऊर्जा इससे टकराती है वह परिवर्तित होकर वापस आती है जिससे उसकी मात्रा दुगनी हो जाती है अगर किसी कमरे में बड़ा दर्पण लगा हुआ हो तो आप देख सकते हैं वहाँ आपको प्रकाश की मात्रा सामान्य से ज्यादा महसूस होगी।
किसी भी भवन में दर्पण अगर दक्षिण या पश्चिम की दीवार
पर लगा हुआ है तो उसको बंद करवाने में जल्दबाज़ी ना करें सबसे पहले यह देखें की इससे क्या क्या लाभ और नुक़सान हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए किसी पुर्व मुखी गाड़ियों के शौरुम में अगर दक्षिण दिशा वाली पुरी दीवार पर दर्पण लगा हुआ है परन्तु साथ ही गाड़ियों के डिसप्ले और स्टाफ के बैठने की प्लानिंग उत्तर दिशा में की हुई है (जो बहुत बड़ा वास्तु दोष है ) पर दर्पण में जब आप देखेंगे तो आपको (सब चीज़ों के प्लेसमेंट रिवर्स होने से )सब सही दिशा में दिखायी देगा।
इस द्रष्टि से दक्षिण दिशा में लगे हुऐ दर्पण भी शुभ फल दे सकते हैं।
* बेडरूम में दर्पण नही लगाना चाहिए अगर ज्यादा ज़रूरी हो तो इस तरहं से लगायें की बैंड के सामने नही आये।
* डाइनिंग हाल में उत्तर या पुर्व दिशा की दीवार पर दर्पण (Mirror) लगाना शुभ होता है।
विज्ञापन– क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
* किसी घर के अन्दर प्रवेश करते समय लाँबी में उत्तर या पुर्व दिशा की दीवार पर दर्पण लगाया जाये तो इससे घर के बडे होने का अहसास होता है पोजिटिव ऊर्जा बढ़ जाती है और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
* आफिस शौरूम दुकान और बडे संस्थानों में रिशेपशन और प्रवेश लाँबी में दर्पण का प्रयोग करने से आय कई गुणा बढ़ जाती है और पोजिटिव फीलिंग का अहसास होता है
* किसी भवन की उत्तर पुर्व या ईशान दिशा कटी हुई हो या ब्रह्म स्थान पर पिल्लर हो तो उसपर दर्पण लगाकर इस दोष को कम किया जा सकता है।
ये भी पड़े-Today’s Horoscope 10th September 2023 | आज का राशि फल दिनांक 10 सितम्बर 2023