“प्रार्थना हाथ जोड़कर करें तो “देवता ” है नमाज़ खुले हाथ से करें तो “खुदा” है , ए दोस्त सारी की सारी दुनियां की यह जंग खत्म है अगर तेरे दोनों हाथों में एक हाथ में “ईश्वर” और दूसरे हाथ में “खुदा” है” – By Dr. Vaibhav Sharma (Bollywood Anchor)
40 राष्ट्रीय एवं 6 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तथा गिन्नीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर और दादा साहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवार्ड विजेता डॉ. वैभव शर्मा का विशेष संवाद नव टाइम्स न्यूज़ के साथ ।
सबसे पहले तो आप थोड़ा हमें अपने बारे में बताएं आप का बचपन कैसा बीता आप जीवन में क्या बनने की इच्छा रखते थे?
वैभव:- जैसा कि आप जानते हैं मेरा नाम डॉ.वैभव शर्मा है और मैं महाराष्ट्र के मुंबई में रहता हूं .अपने बचपन की बात करूं तो जीवन में लगभग सब कुछ मुझे मेरे पिता भारत के मशहूर कवि ‘बसंत शर्मा’ उनके मार्गदर्शन में सीखने को मिला इसलिए मैं आज जो कुछ भी हूं उसका सारा श्रेय में अपने पूजनीय पिताजी को देता हूं। मैंने सिंबोसिस लॉ कॉलेज पुणे से कानून की पढ़ाई की है इसलिए मैं पेशे से एक वकील भी हूं. और अपने बचपन के सपने की बात करूं तो उस समय दूरदर्शन पर एक गीत हम बहुत सुनते थे “पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा बेटा हमारा ऐसा काम करेगा” वह गीत मेरे पिता को खूब पसंद था जब उस गीत को मैं सुनता था तो मुझे लगता था कि मेरे पास जो भाषा ही शिल्प की कला है यदि उसका उपयोग में इस फिल्म इंडस्ट्री में करूंगा तो वहां मुझे लोगों द्वारा बहुत प्रेम मिलेगा इसलिए मैं शुरू से ही फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करना या आगे बढ़ना चाहता था।
बतोर एक Bollywood Anchor आपने फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत किस प्रकार से करी?
वैभव:- जैसा कि मैंने आपको बताया मैंने अपने भाषाई शिल्प के माध्यम से आगे बढ़ना चाहता था उस समय सन् 2004 में पुणे में एक प्रतियोगिता हुई थी भाषा को लेकर जिसमें मुझे प्रथम स्थान मिला उस प्रतियोगिता में फिल्म जगत से जुड़े लोग भी आए थे उसमें से एक सज्जन जो Event Director थे उन्होंने मुझे अपना कार्ड दिया और कहा कि आपकी उर्दू में बहुत अच्छी पकड़ है आपका बोलने का लहजा़ कमाल का है आप मुझसे मेरे कार्यालय में मिलना जिसके बाद मैं उनसे मिलने गया तो उन्होंने मेरे भाषाई स्तर के चलते ‘पदम विभूषण जगजीत सिंह’ जी के ‘Muntazir Albums’ जो लॉन्च हुआ था उस शो की एंकरिंग मुझे दी गई जहां से मेरे करियर की शुरुआत हुई। (Dr. Vaibhav Sharma)
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बतोर एक Bollywood Anchor आपका क्या-क्या काम होता है जो आम लोगो को पता नहीं होता ?
वैभव:- एक एंकर की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि जितने भी प्रतिभागी या जितने भी कलाकार होने वाले कार्यक्रम में आ रहे हैं उन को अच्छी तरह से इज्ज़त से लोगों के सामने पेश करना ना कि आज के समय की तरह अभद्र प्रकार के मजाक करना खासकर महिला कलाकारों या अदाकारों के साथ जो आजकल हो रहा है जिसके चलते हमें बाद में फिर आम लोगों द्वारा अलग-अलग बातें सुनने को मिलती है ‘Boycott Bollywood’ उसका एक उदाहरण है एक एंकर को सच्चे दिल से सबको सम्मान से उनका परिचय करवाना चाहिए ताकि सम्मान पाने वाला आपको भी सच्चे मन से सम्मान दे सके।
जैसा कि आजकल Boycott Bollywood का मुद्दा काफी चर्चा में चल रहा है इस विषय पर आपकी क्या टिप्पणी है?
वैभव:- मेरा यह मानना है कि जनमत ही भगवान होता है इस जनमत ने ही महात्मा गांधी को बनाया इस जनमत ने ही जवाहरलाल नेहरू को बनाया या भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, (Nightingale of India) भारत की कोकिला लता मंगेशकर को बनाया इस जनमत ने ही हम सब को बनाया तो मैं यही कहूंगा कि कलाकार का परम उत्तरदायित्व होता है कि वह जिस देश में भी रह रहा है उस मिट्टी को उस देश को सबसे आगे रखे लेकिन आज-कल लोग इस ग्लेमर इंडस्ट्री में आकर अपने भारत को कम महत्व देने लगता है अगर वह ऐसा करेगा तो जनता तो उसे सबक सिखाएगी ही मेरा यही मानना है कि देश और देश भक्ति से बढ़कर कुछ नहीं। (Dr. Vaibhav Sharma –Bollywood Anchor)
जैसा कि आप हिंदी कवि और उर्दू शायर है जो आपके बात करने के लहजे से झलकता है तो वह लहजा पाना क्या इतना आसान है?
वैभव:– “रूह थक जाती है मज़्मून को तलाशते तलाशते। कायनात और दुनिया दीवानी हो जाती है मेरे लहजे़ को सुनते सुनते” यह जो लहज़ा है आपको अपनी शख्सियत को तराशने के बाद मिलता है जब मैं इस देश की मिट्टी से जुड़ा इस जमीन से जुड़ा तब जाकर यार शायराना अंदाज़ यह लहज़ा मैंने पाया इसलिए मैं अपने माता-पिता के साथ-साथ भारत मां का भी शुक्रगुजार हूं कि मुझे इस भारत देश में जन्म मिला और इस भारत में रहकर मुझे मेरे लहजे से लोगों का दिल जीतने का मौका मिला और मुझे मां भगवती और मां सरस्वती की साधना का मौका मिला। पदमभूषण साहित्य वाचस्पति एवं गीत सम्राट डॉक्टर गोपाल दास नीरज जी के अपने शुभ विचार – डॉ. वैभव शर्मा के लिए |
जैसे सब के लिए एक आदर्श होते हैं जिनसे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है वैसे ही आप किन्हें अपना आदर्श मानते हैं?
वैभव:- मैं अपने जीवन में तीन लोगों को अपना आदर्श मानता हूं एक मेरे पूजनीय पिता जी कवी ‘बसंत शर्मा’ जिन से मुझे यह सीखने को मिलता है कि जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना हंसकर करना चाहिए अपने काम के प्रति समर्पण रहना चाहिए और अनुशासन रखना चाहिए। दूसरा ‘स्वामी विवेकानंद’ जिनसे मुझे आंतरिक पवित्रता अहम है सीखने को मिलता है तथा देश सबसे ऊपर है उससे बढ़कर कुछ नहीं और तीसरा ‘डॉ एपीजे अब्दुल कलाम’ जिनसे मुझे यह सीखने को मिलता है कि जीवन में लोग कितनी भी नकारात्मकता भर दे आपको अपने लक्ष्य पर अटल रहना है फिर चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो।
भारत के महान कवि ‘बसंत शर्मा’ द्वारा लिखी गई लाइन जो लगभग भारत का हर नागरिक दोहराता है :- इस देश का हर जिम्मेदार नागरिक जानता है वक्त की जरूरत भगत सिंह आजाद पैदा हो पर मेरे घर से नहीं |
एक मोटिवेशनल स्पीकर तभी लोगों को सकारात्मक रख पाएगा जब वू खुद नकारात्मकता से दूर हो तो आप अपने आप को किस प्रकार सकारात्मक रखते हैं?
वैभव:- जब आप नकारात्मक लोगों के बीच में भी खुद को सकारात्मक रखते हैं तब आपकी परीक्षा चल रही होती है मैं जिस इंडस्ट्री से आता हूं यहां आपको तरह-तरह के लोग मिलते हैं तो आप अपने आप को सकारात्मक तभी रख पाएंगे जब आप ईश्वर की छत्रछाया में रहेंगे आप वहां अपना काम कीजिए और अपनी छाप लोगों के बीच में छोड़कर निकल जाइए यदि आपका ईश्वर के साथ सच्चा रिश्ता है तो सकारात्मकता आपमें खुद ब खुद पैदा होती है क्योंकि लोग धोखा दे सकते हैं लेकिन ईश्वर आपको कभी धोखा नहीं दे सकते। Bollywood Anchor
आपको इंडस्ट्री में लगभग 20 वर्ष हो चुके हैं जिसमें आपने कई उतार-चढ़ाव तथा संघर्ष देखा तो आप अपने इस संघर्ष को किस तरह से देखते हैं ?
वैभव:- यह बात तो आपने सच कही मैंने इंडस्ट्री के इतने सालों में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं पहले के लोग जो है अपने काम के नोट्स बना कर काम किया करते हैं लेकिन अब लोग समय बचाने के चलते सब पीछे छोड़ चुके हैं पहले लोगों के पास समय हुआ करता था एक दूसरे के पास वक्त बिताने के लिए एक गायक के पास संगीत निर्देशक के लिए या एक शायर के पास एक गज़ल गायक के लिए लेकिन आज की तकनीकी दौर ने सब खत्म कर दिया है जब मैंने ‘दादासाहेब फालके अवॉर्ड’ शो किया था तो मेरी मुलाकात ‘खय्याम साहब’ से हुई थी जो संगीत निर्देशक है उन्होंने कहा था कि हम गाने के एक-एक नगमे को बजाने के लिए कई महीनों तक केवल उसका अभ्यास करते थे तब वह ‘मील का पत्थर’ निकल कर आता था जो हमें चाहिए होता था लेकिन आज के समय में लोग काम की गुणवत्ता को छोड़ उसकी मात्रा को बढ़ाने के पीछे दौड़ रहे हैं जो एक बहुत बड़ी कमी है। (Dr. Vaibhav Sharma)
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कई वर्षों के प्रयास तथा संघर्ष के बाद आप यहां तक पहुंचे है तो आप अपने बीते हुए वक्त को किस तरह से याद करते हैं?
वैभव:- पुराने दिनों को में इस तरह से याद करता हूं जब मेरे माता-पिता जीवित थे तब हमें जब कुछ भी हासिल होता था तो वह लोग जो खुश होते थे उससे मुझे जो आंतरिक सुकून मिलता था उसे मैं खूब याद करता हूं तथा ‘बप्पी दा’ , ‘लता मंगेशकर’ जैसे लोगों के साथ मैंने जो वक्त बिताया है उसे मैं याद करता हूं क्योंकि वह लोग कहते थे कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति हो कभी भी अपने उसूलों से समझौता मत करना क्योंकि आज जो भी लोग तुम्हें जानते हैं वह तुम्हारे उसूलों के बदौलत ही जानते हैं इसलिए मैं अपनी संस्कृति को सबसे ऊपर रखता हूं और वह संस्कृति मेरा देश मेरी भारत माता है।
जो लोग इस फिल्म जगत में आगे बढ़ना चाहते हैं या इस इंडस्ट्री से जुड़ना चाहते हैं उन्हें आप क्या सुझाव देते हैं?
वैभव:- इस विषय पर मैं यही कहूंगा कि इंडस्ट्री में आने से पहले इंडस्ट्री कि जो मूल बातें हैं वह आपको पता होनी चाहिए यह सोचकर कभी ना आए कि मैं शाहरुख खान जैसा दिखता हूं या लोग मुझे करीना कपूर बोलते हैं तो मैं इंडस्ट्री में आ सकता हूं क्योंकि इंडस्ट्री में वह लोग पहले से ही मौजूद हैं जो भी आज की पीढ़ी इस इंडस्ट्री में आगे बढ़ना चाहती है उन्हें सबसे पहले अपने किरदार तथा भाषाई शिल्प पर काम करना होगा क्योंकि ईश्वर ने सब को अलग अलग बनाया है इसलिए आप दूसरों के जैसा बनने की कोशिश ना करें यदि आप उनके जैसा बनने की कोशिश करेंगे तो वह खुद से ही बेईमानी होगी।
(आज के इस दौर में जहां युवा पीढ़ी से लेकर बुजुर्गों तक नशे की लत तथा तरह-तरह के खाद्य पदार्थों के सेवन का एक ट्रेंड सा बन गया है उसी बीच भारत में डॉ वैभव शर्मा जैसे लोग भी मौजूद हैं जिन्होंने आज तक सिगरेट-शराब तो क्या चाय-कॉफी तक को भी हाथ नहीं लगाया वह जब भी किसी कार्यक्रम में एंकरिंग करते हैं तो केवल अनार का जूस या मोसंबी का जूस पीकर काम करते हैं इसके अलावा कुछ नहीं खाते पीते जब तक उनका काम खत्म ना हो जाए तथा वह आंतरिक पवित्रता तथा ईश्वरीय भक्ति में विश्वास रखते हैं )
यदि आप भी Bollywood Anchor डॉ वैभव शर्मा (Dr. Vaibhav Sharma) से किसी भी कार्यक्रम के अंतर्गत बात करना चाहते हैं तो उन्हें दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं :- 8459193361
‘डॉ वैभव शर्मा’ के साथ साक्षात्कार हमारे संवाददाता ‘पिंटू राय’ द्वारा किया गया।