बेंगलुरु। मार्स आर्बिटर मिशन (मंगलयान) का ईंधन (प्रणोदक) खत्म हो गया है। बैटरी भी काम नहीं कर रही। आशंका जताई जा रही है कि ‘मंगलयान’ ने अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है और अंतरिक्ष में विलीन हो रहा है। इसरो के सूत्रों ने बताया, ”कोई ईंधन नहीं बचा है। बैटरी खत्म हो गई है। लिंक भी टूट गया है। हालांकि राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है। मार्स आर्बिटर मिशन को पांच नवंबर 2013 को पीएसएलवी-सी25 से लांच किया गया था। भारत ने मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में केवल 450 करोड़ रुपये में लांच कर इतिहास रचा था। 24 सितंबर 2014 को यह सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में पहुंचा। इस मिशन की अवधि केवल छह महीने थी, लेकिन यह आठ वर्षों तक सक्रिय रहकर मंगल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
सिर्फ 6 महीने के लिए डिजाइन किया गया था
इसरो के अधिकारियों ने बताया कि मार्स ऑर्बिटर क्राफ्ट ने लगभग आठ वर्षों तक काम किया, जो इसके छह महीने के डिजाइन किए गए मिशन जीवन से काफी अधिक था। उन्होंने कहा कि इसने अपना बेहतर काम किया है। और कई सारी महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं।
5 बेहद खास उपकरण थे शामिल
मंगलयान को MOM यानि एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उद्यम, सतह भूविज्ञान, आकृति विज्ञान, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, सतह के तापमान और वायुमंडलीय प्रक्रिया पर डेटा एकत्र करने वाले पांच वैज्ञानिक पेलोड (कुल 15 किग्रा) उपकरणों के साथ बनाया गया था। जिसमें मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस), मंगल के लिए मीथेन सेंसर (एमएसएम), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी) शामिल थे।