सिरसा। (सतीश बंसल) किसानों (Kisan) की हक्की मांगों को पूरा करवाने के लिए दूसरी बार 378 दिनों तक देश के किसानों (Kisan) को सडक़ों पर आंदोलन करने के लिए मजबूर करने वाली केंद्र सरकार के खनौरी बॉर्डर पर पुतले फूंके गए। इंद्रजीत सिंह कोटबुढा ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 2020 में किसानों के ऊपर थोपे गए तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए दिल्ली के बॉर्डरों पर 378 दिनों तक ऐतिहासिक शांतिपूर्ण किसान आंदोलन-01 किया गया था। तीनों काले कानून रद्द होने के बाद दूसरी मांगों को जल्द पूरा करने के लिए 9 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार द्वारा लिखित में चि_ी गई थी, उन मांगों को लागू करवाने के लिए दिल्ली जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर भारत में सभी जिला मुख्यालयों पर समय-समय पर प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा गया, लेकिन फिर भी 26 महीनों तक केंद्र सरकार द्वारा किसानों की मानी मांगों को लागू नहीं किया गया, जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक व किसान (Kisan) मजदूर मोर्चा दोनों फोर्मों ने 13 फरवरी 2024 को दिल्ली कूच का ऐलान किया। किसानों की मानी हुई मांगों को लागू करने की बजाए उन्हें दिल्ली जाने से रोकने के लिए हरियाणा की सरकार ने 6 फरवरी से ही हरियाणा में 70 हजार के करीब पैरामिलिट्री फोर्स लगाकर सडक़ों पर बड़ी-बड़ी दीवारें कर दी। गड्ढे खोद दिए, किले लगा कर दिल्ली जाने वाले सारे रास्ते बंद कर दिए। जब किसान (Kisan) शंभू व खनौरी बॉर्डर से दिल्ली की ओर बढऩे लगे तो 13, 14 व 21 फरवरी को हरियाणा की सरकार ने आंसू गैस के गोले, केमिकल्स गैंसें, मोर्टार इंजेक्टर, एसएलआर की गोलियों का प्रयोग किया। युवा किसान (Kisan) शुभकरण सिंह को सीधी गोली मारकर शहीद किया।
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सरकार के अत्याचार से चार किसानों की आंखों की रोशनी चली गई 435 के करीब किसान जख्मी हुए। प्रितपाल सिंह को घायल करके बोरी में डालकर उसके ऊपर अत्याचार किया गया। हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों (Kisan) के कैंप में आकर किसानों के ट्रैक्टर-ट्रालियां व वाहन तोड़े गए। शुभकरण के कातिलों व किसानों पर अत्याचार करने वालों को सजा देने की बजाएं सरकार द्वारा अत्याचार करने वाले अधिकारियों को राष्ट्रपति अवार्ड देने की सिफारिश तक की गई, जिसे किसानों के विरोध के बाद वापस लेना पड़ा। बीकेई अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि इन 378 दिनों में शंभू, खनौरी व रतनपुरा बॉर्डरों पर धरना दे रहे किसानों ने सर्दी, गर्मी, आंधी, तूफान बरसात हर मुसीबत का सामना किया। फिर भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन में डटे रहे। सरकार की बेरुखी को देखते हुए जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 26 नवंबर 2024 को आमरण-अनशन पर बैठने का फैसला लिया, जिसके चलते केंद्र सरकार ने एक साल बाद 14 और 22 फरवरी को किसानों के साथ वार्ता की। किसान (Kisan) आंदोलन-02 के 401 दिन होने पर अब आने वाली 19 मार्च 2025 को केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ चंडीगढ़ में 7वें दौर की वार्ता होगी। उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार सबका साथ सबका विकास के अपने नारे के मुताबिक किसानों के लिए एमएसपी खरीद गारंटी कानून बनाकर, स्वामीनाथन कमीशन (सी2+50) फार्मूले के अनुसार फसलों के भाव देकर, किसानों और मजदूरों की संपूर्ण कर्जा माफी करने सहित किसानों की सभी मानी हुई मांगों को लागू करते हुए किसानों का भी विकास करेंगे। इस मौके पर साहिब सिंह, बाबा प्रगट सिंह, जगराज सिंह, दलजीत सिंह, जगजीत सिंह, करमजीत सिंह, लवप्रीत सिंह, बलवंत सिंह, जगजीत सिंह, धर्मप्रीत सिंह, अजय पाल सिंह, तरसेम सिंह, जगतार सिंह, दलेर सिंह, रणजीत सिंह, सुबा सिंह, दीदार सिंह, सरदूल सिंह, दरबार सिंह, राम सिंह, भगवान सिंह, श्रवण सिंह आदि किसान मौजूद रहे।
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