कानपुर। सिख विरोधी दंगा में निराला नगर की घटना दबौली के बाद सबसे बड़ी वारदात थी। दबौली में जहां एक ही परिवार के सात लोगों की हत्याएं हुए थीं, वहीं निराला नगर में भीड़ ने पांच लोगों की जान ले ली थी, जिसमें एक दंगाई भी शामिल था। वारदात को स्थानीय निवासियों ने ही अंजाम दिया। हालांकि भीड़ लाने का काम पूर्व राज्य मंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाहा के भतीजे राघवेंद्र कुशवाहा ने किया। एसआइटी ने पूर्व मंत्री के भतीजे को भी आरोपित बनाया है। 38 साल बाद जब एसआइटी पिछले दिनों दंगे के दौरान मारे गए सतवीर काला के परिवार से मिली तो सामने आया कि इस वारदात में स्थानीय डेयरी कारोबारी, स्कूल संचालक और शराब कारोबारी भी शामिल हैं।
किदवई नगर थाना क्षेत्र के निराला नगर निवासी गुरुदयाल सिंह के मकान में कई में सिख व बंगाली परिवार रहते थे। इमारत में 27 कमरे थे। 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शहर में जब दंगा भड़का तो दंगाइयों ने मकान में रहने वाले सिखों को भी निशाना बनाया। 31 अक्टूबर को पथराव करके भीड़ लौट गई, मगर दूसरे दिन एक नवंबर को पूर्व राज्य मंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाहा का भतीजा राघवेंद्र कुशवाहा दो बसों में घाटमपुर से लोगों को लाया और स्थानीय लोगों की मदद से मकान पर दोबारा हमला बोल दिया। हिंसक भीड़ को देखकर गुरुदयाल सिंह ने अपने बेटे सतवीर काला के साथ दोनाली बंदूक से भीड़ का मुकाबला किया। भीड़ ने भी जमकर गोलीबारी की। आखिर भीड़ हाते में पहुंचे गई और तीन मंजिला इमारत में भूतल के कमरों को आग लगा दी गई। दूसरी मंजिल पर मौजूद गुरुदयाल सिंह व सतवीर काला गोली लगने से घायल हो गए। जबकि ऊपर जाकर भीड़ ने नीचे जल रही आग में रक्षपाल सिंह व भूपिंदर सिंह को फेंक दिया, जिससे दोनों की मौत हो गई। कमरों में लगी आग से एक सिलेंडर ब्लास्ट हो गया, जिसकी चपेट में आकर राजेश गुप्ता नाम का दंगाई भी मारा गया। दावा है कि भीड़ ने एक बंगाली युवक को भी जिंदा फूंक दिया। छह दिन बाद इलाज के दौरान घायल सतवीर काला ने भी दम तोड़ दिया। बंगाली युवक कौन था, उसके बारे में अभी कुछ पता नहीं चला है।
पिछले दिनों पंजाब गई एसआइटी ने लुधियाना और नोएडा निवासी सतवीर काला की बहनों और पत्नी से बयान लिए थे। उन्होंने बताया था कि मुकदमे का वादी पड़ोसी डेयरी संचालक का भाई है। डेयरी संचालक ने भी भीड़ को हमले के लिए उकसाया। वहीं स्कूल संचालक व उसके दो बेटे भी हत्याकांड में शामिल थे। दंगाईयों में मोहल्ले में रहने वाला एक शराब कारोबारी का परिवार भी शामिल था।