मुंबई: बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई लड़की किसी के साथ दोस्ताना बर्ताव करती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति दे रही है। दोस्ताना संबंध रखने से शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति नहीं मिल जाती। जस्टिस भारती डांगरे की एकल पीठ ने 24 जून को पारित आदेश में ये बातें कहीं। इसके साथ ही शादी का झांसा देकर महिला से दुष्कर्म के आरोपित आशीष चकोर की अग्रिम जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी। महिला की शिकायत के अनुसार चकोर के साथ उसका बर्ताव मित्रवत था। आरोपित ने उससे शादी का वादा किया और शारीरिक संबंध बनाने को कहा। महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि चकोर ने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। शिकायत के अनुसार जब महिला गर्भवती हो गई तो आरोपित शादी के वादे से मुकर गया।
हालांकि चकोर ने यह दलील देते हुए गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग की थी कि महिला ने सहमति से संबंध बनाए थे।पीठ ने कहा कि चकोर के खिलाफ आरोपों की पुलिस द्वारा और पड़ताल की जरूरत है और पता लगाना होगा कि क्या महिला को संबंध बनाने के लिए सहमति देने को बाध्य किया गया या नहीं।
हाई कोर्ट ने कहा कि महिला का पक्ष है कि शादी के वादे के बाद उसने शारीरिक संबंध बनाने की इजाज़त दे दी थी। जस्टिस डांगरे ने कहा, ‘जब एक पुरुष महिला के साथ काम करता है तो हो सकता है कि उनमें किसी वजह से दोस्ती हो जाए क्योंकि दोस्ती करने के लिए जेंडर देखने की जरूरत नहीं होती। हालांकि यह पुरुष को इस शारीरिक संबंध बनाने का लाइसेंस नहीं देता है।’
हाईकोर्ट ने कहा, किसी भी संबंध में महिलाओं को सम्मान की उम्मीद होती है। दोस्ती में भी ऐसी ही उम्मीद रहती है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोप है कि पहले शख्स ने संबंध बनाए लेकिन प्रेग्नेंसी के बारे में पता चलते ही दूसरे शख्स के साथ संबंध का आरोप लगाकर शादी से इनकार कर दिया। इस मामले में जांच की जरूरत है।